तिरुवनंतपुरम, 12 नवंबर (भाषा) केरल सरकार ने दो आईएएस अधिकारियों के. गोपालकृष्णन और एन. प्रशांत के खिलाफ जारी निलंबन आदेश में सेवा नियमों के उल्लंघन और गंभीर अनुशासनहीनता का हवाला दिया है।
सरकार ने आदेश में आरोप लगाया कि गोपालकृष्णन के कृत्य ने अखिल भारतीय सेवा संवर्ग के भीतर फूट पैदा की, जबकि प्रशांत के आचरण ने राज्य की प्रशासनिक प्रणाली की छवि को नुकसान पहुंचाया।
गोपालकृष्णन को सरकारी अधिकारियों के लिए धर्म आधारित ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ बनाने के कारण निलंबित कर दिया गया था। वहीं प्रशांत को सोशल मीडिया पर एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के लिए कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।
सरकार ने सोमवार देर रात जारी निलंबन आदेश में स्पष्ट किया कि दोनों सिविल सेवा अधिकारियों का कृत्य गंभीर अनुशासनहीनता और अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन है।
आदेश में कहा गया कि सरकार के संज्ञान में आया है कि हाल ही में एक ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ बनाया गया था, उद्योग निदेशक गोपालकृष्णन को उक्त समूह का ‘एडमिन’ बताया गया था।
मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि पुलिस जांच में पता चला कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि गोपालकृष्णन का मोबाइल फोन ‘हैक’ किया गया जैसा कि अधिकारी ने दावा किया है।
आदेश के अनुसार, यह भी पाया गया कि फोरेंसिक जांच के लिए फोन जमा करने से पहले अधिकारी ने खुद ही मोबाइल फोन को बार-बार ‘फैक्टरी रीसेट’ किया था।
इसमें कहा गया, ‘‘ सरकार का प्रथम दृष्टया यह मानना है कि गोपालकृष्णन के द्वारा बनाए गए उक्त ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ का मकसद राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडर के बीच फूट डालना और उनकी एकजुटता को तोड़ना था।’’
आदेश में कहा गया, प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि यह अखिल भारतीय सेवाओं के कैडर के भीतर सांप्रदायिक संरचना और गुटबाजी पैदा कर रहा था।
इस बीच, विशेष सचिव (कृषि) एन. प्रशांत को निलंबित करने के एक अलग आदेश में सरकार ने अधिकारी पर वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस ए. जयतिलक के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘‘अपमानजनक बयान’’ देने का आरोप लगाया।
मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ये टिप्पणियां गंभीर अनुशासनहीनता के बराबर हैं और ऐसी टिप्पणियां राज्य में प्रशासनिक प्रणाली की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाती हैं।
इसमें कहा गया, प्रथम दृष्टया इन टिप्पणियों से राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा में विभाजन और असंतोष पैदा होने की आशंका है, जिससे जनता को दी जाने वाली सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को मुख्य सचिव से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया था।
प्रशांत ने हाल ही में ‘फेसबुक’ पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. जयतिलक पर उनके खिलाफ ‘‘निराधार’’ खबरें प्रकाशित कराने का आरोप लगाया था।
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