नई दिल्ली । केंद्र सरकार अपनी इनकम बढ़ाने के लगातार प्रयास कर रही है। मोदी सरकार का हर मंत्रालय की कमाई बढ़ाने के हर संभव कोशिश कर रही है। इसी क्रम में सड़क परिवहन मंत्रालय ने अपनी कमाई का एक और जरिया तलाशा है। केंद्र सरकार के इस मंत्रालय ने अपने पास उपलब्ध व्हीकल रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस डेटा बेचकर इनकम का नया जरिया तलाश लिया है। साल 2019 की शुरुआत में व्हीकल डेटा बेचने की पॉलिसी को केंद्रीय कैबिनेट की स्वीकृति मिली थी।
यह भी पढ़ें- पुलिस जवानों को सरकार का तोहफा, मिलने लगा साप्ताहिक अवकाश, परिवार क…
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में दिए गए अपने लिखित जवाब में बताया कि सरकार ने व्हीकल रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस डेटा बेचकर 65 करोड़ रुपये की कमाई की है। सरकार की तरफ से अब तक 87 निजी कंपनियों और 32 सरकारी कंपनियों को वाहन का डेटा बेचा गया है। बता दें कि बल्क डेटा शेयरिंग पॉलिसी के तहत निजी कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों को डेटा एक्सेस की अनुमति दी जाती है। इस डेटा उपलब्ध कराए जाने के बदले शैक्षणिक संस्थानों से एक साल के लिए 3 करोड़ रुपये, सरकारी संस्थानों से 5 करोड़ रुपये वसूले जाते हैं।
यह भी पढ़ें- मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में हो रही थी शराब तस्करी, भारी मात्रा में …
केंद्र सरकार की इस योजना के तहत वाहन खरीदने वाली कंपनियों को वाहन अंगेजी में VAHAN और सारथी या SARATHI डेटाबेस एक्सेस करने की अनुमति मिल जाती है, जिसका प्रयोग अब तक देशभर में RTO करता था। वाहन और सारथी को पहली बार साल 2011 में प्रस्तुत किया गया था, जिस पर मौजूदा वक्त में बड़े पैमाने पर वाहन डेटा मौजूद है।
यह भी पढ़ें- रायपुर रेडियो स्टेशन में पाकिस्तानी सिंगर्स बैन, फरमाइश पर नहीं सुन…
वाहन साफ्टवेयर में व्हीकल रजिस्ट्रेशन, टैक्स, फिटनेस, चालान और परमिट के आंकड़े रहते हैं। वहीं सारथी डेटाबेस में ड्राइविंग लाइसेंस, फीस की डिटेल मौजूद रहती है। VAHAN और SARATHI इन दोनों प्लेटफार्म पर लगभग 25 करोड़ व्हीकल रजिस्ट्रेशन और 15 करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस डिटेल मौजूद हैं।
<iframe width=”560″ height=”315″ src=”https://www.youtube.com/embed/yJwBOI14VCg” frameborder=”0″ allow=”accelerometer; autoplay; encrypted-media; gyroscope; picture-in-picture” allowfullscreen></iframe>