नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय की इस दलील की कड़ी आलोचना की है कि कानून के तहत स्पष्ट रूप से दिए गए वैधानिक अपवाद के बावजूद धन शोधन के मामलों में कठोर ज़मानत शर्तें महिलाओं पर भी लागू होंगी।
न्यायूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शाइन सिटी ग्रुप ऑफ कंपनीज़ से जुड़े धन शोधन मामले में आरोपी एवं सरकारी स्कूल की शिक्षिका शशि बाला की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलों को ‘‘क़ानून के विपरीत’’ बताया और इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह की दलीलें बर्दाश्त नहीं की जायेंगी ।
पीठ ने कहा, ‘‘हम क़ानून के विपरीत दलीलें देने के आचरण को बर्दाश्त नहीं करेंगे’’। पीठ ने मामले में बाला को ज़मानत देते हुए कहा कि वह नवंबर 2023 से हिरासत में हैं और उनके मुक़दमे के जल्द ही समाप्त होने की संभावना बहुत कम है।
उन्होंने बुधवार को कहा, ‘‘यदि भारत संघ की ओर से पेश होने वाले लोग कानून के बुनियादी प्रावधानों को नहीं जानते हैं, तो उन्हें इस मामले में पेश क्यों होना चाहिए।’’
ईडी ने तर्क दिया था कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत जमानत की कठोर शर्तें महिलाओं पर भी लागू होनी चाहिए।
पीएमएलए की धारा 45 धन शोधन के मामलों में जमानत देने के लिए कठोर शर्तें लगाती है, जिसके तहत आरोपी को यह साबित करना होता है कि उनके खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है और जमानत पर रहते हुए उनके द्वारा कोई अन्य अपराध करने की संभावना नहीं है।
हालांकि, कानून में कुछ श्रेणियों के लोगों के लिए एक उल्लेखनीय अपवाद शामिल है।
धारा 45(1) के तहत प्रावधान में कहा गया है कि ‘‘कोई व्यक्ति, जो सोलह वर्ष से कम आयु का है या महिला है या बीमार या अशक्त है, उसे विशेष न्यायालय द्वारा निर्देश दिए जाने पर जमानत पर रिहा किया जा सकता है।’’
विभिन्न निर्णयों में माना गया है कि धारा 45 के तहत अपवाद सभी महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनका व्यवसाय, शिक्षा या सामाजिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, बशर्ते कि उनके भागने का जोखिम न हो और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की संभावना न हो।
मामले के विवरण के अनुसार, लखनऊ स्थित शाइन सिटी ग्रुप पर उच्च रिटर्न का वादा करके धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं के माध्यम से जनता से 800-1000 करोड़ रुपये की ठगी करने का आरोप है।
ईडी की जांच में पता चला कि समूह और इसके कर्ताधर्ता रशीद नसीम के खिलाफ 554 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। नसीम फिलहाल फरार है।
शशि बाला को इसलिए आरोपी बनाया गया क्योंकि वह कथित तौर पर नसीम की प्रमुख सहयोगी थी। ईडी के अनुसार, उसने अपराध की आय को वैध बनाने में भूमिका निभाई और धोखाधड़ी योजना के तहत 36 लाख रुपये से अधिक प्राप्त किए।
शशि बाला को नवंबर 2023 में गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद सितंबर 2024 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया। इसमें यह दलील दी गयी कि नसीम के साथ उसके कथित घनिष्ठ संबंध और धोखाधड़ी के पैमाने ने अपवाद के तहत जमानत के लिए उसकी पात्रता के दावे को नकार दिया है।
इसके बाद शशि बाला ने जमानत के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
भाषा रंजन रंजन वैभव
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