नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने आवास के मुद्दे पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के एक दृष्टिबाधित छात्र की याचिका पर बुधवार को उच्च न्यायालय से अंतरिम राहत के बिंदु पर विचार करने को कहा।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने आईआईटी मुंबई से जैव प्रौद्योगिकी में एमएससी कर रहे छात्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, ‘‘यह एक एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) है, जिसे हमने आईआईटी मुंबई के एक छात्र की ओर से दायर किया है, जिसे उचित आवास पाने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसका वह दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत हकदार है।’’
पीठ ने कहा कि मामला बंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष लंबित है। इसने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय से मामले में जल्द फैसला लेने का अनुरोध करेंगे।’’
शीर्ष अदालत के पूछने पर छात्र के वकील ने बताया कि मामला 27 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। इसने कहा कि याचिकाकर्ता ने पिछले साल मार्च में उच्च न्यायालय का रुख किया था और मामला विचाराधीन है।
वकील ने पीठ को दो अलग-अलग उच्च न्यायालयों के एक परिपत्र के बारे में जानकारी दी, जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों से जुड़े मामलों को प्राथमिकता दी गई थी।
पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा, ‘‘हम मामले में सुनवाई कर रही उच्च न्यायालय की खंडपीठ से अनुरोध करते हैं कि वह निर्धारित तिथि यानी 27 जनवरी 2025 को कम से कम अंतरिम राहत देने पर विचार करे।’’
भाषा पारुल नेत्रपाल
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