नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की क्षमा याचिका पर 18 मार्च तक निर्णय करे।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “हम आपको अंतिम अवसर के तौर पर समय दे रहे हैं। आप या तो निर्णय लें या फिर हम गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करेंगे।”
पीठ में न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन भी शामिल हैं। यह पीठ राजोआना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने क्षमा अर्जी के निस्तारण में ‘अत्यधिक देरी’ होने के आधार पर मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का अनुरोध किया है।
सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने मामले की संवेदनशीलता का उल्लेख करते हुए कहा कि क्षमा की अर्जी विचाराधीन है। उन्होंने पीठ से छह सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया।
राजोआना का पक्ष रख रहे वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनका मुवक्किल करीब 29 साल से जेल में है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम 18 मार्च को मामले के गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करेंगे। तब तक यदि आप (केंद्र) निर्णय ले सकते हैं तो यह अच्छी बात है। किसी भी तरह से आप निर्णय लें ताकि हमें सुविधा हो। अन्यथा हम इस पर (मृत्युदंड माफ करने के लिए निर्देश का अनुरोध करने वाली याचिका पर) गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करेंगे।’’
मेहता ने कहा कि यह मामला एक तत्कालीन मुख्यमंत्री की हत्या से संबंधित है।
केंद्र ने पिछले साल 25 नवंबर को शीर्ष अदालत से कहा था कि राजोआना की क्षमा अर्जी का मामला काफी संवेदनशील है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 18 नवंबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को राजोआना की क्षमा अर्जी विचारार्थ उनके समक्ष रखने को कहने वाले अपने पूर्व के आदेश पर रोक लगा दी थी।
चंडीगढ़ स्थित सिविल सचिवालय के प्रवेश द्वार पर 31 अगस्त 1995 को हुए धमाके में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री और 16 अन्य लोग मारे गए थे। जुलाई 2007 में एक विशेष अदालत ने राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी।
उच्चतम न्यायालय ने तीन मई, 2023 को राजोआना की मौत की सजा को बदलने से इनकार करते हुए कहा था कि सक्षम प्राधिकारी उसकी क्षमा अर्जी पर विचार कर सकते हैं।
राजोआना ने अपनी नयी याचिका में दलील दी है कि उसने कुल 28 वर्ष और आठ महीने की सजा काट ली है, जिसमें से 17 वर्ष उसने मौत की सजा पाए अपराधी के रूप में काटे हैं।
राजोआना ने कहा कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत उसकी ओर से क्षमा अर्जी दी थी।
भाषा धीरज प्रशांत
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