नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 23 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों को मोटर वाहन कानून के हालिया प्रावधानों के कार्यान्वयन के अलावा इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और सड़क सुरक्षा उपायों पर नियमों के अनुपालन संबंधी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश – पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और दिल्ली ने अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर दी हैं।
शीर्ष अदालत ने 2 सितंबर, 2024 को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 136ए को इसकी नियमवाली के नियम 167ए के साथ लागू करने के निर्देश पारित किए थे, जो अधिकारियों को तेज गति से चलने वाले वाहनों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी करने की अनुमति देता है।
पीठ ने अब शेष 23 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। ये रिपोर्ट सड़क सुरक्षा पर उच्चतम न्यायालय की समिति के साथ साझा की जाएंगी।
पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की समिति सभी पहलुओं पर गौर करेगी और अपनी राय मुहैया कराएगी, जिस पर केंद्र द्वारा इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और सड़क सुरक्षा उपायों के प्रवर्तन पर मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने में विचार किया जा सकता है।
न्यायमित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने सूचित किया कि छह राज्यों ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है और उनके संबंध में आवश्यक निर्देश पारित किए जा सकते हैं।
पीठ ने कहा कि वह 25 मार्च को इस पहलू पर विचार करेगी। इस बीच सड़क सुरक्षा पर उसकी समिति रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करते समय छह राज्यों से सहायता मांग सकती है।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में 2021 में धारा 136ए जोड़ी गई थी जिसका उद्देश्य बेहतर यातायात प्रबंधन और यातायात कानूनों के प्रवर्तन को सुनिश्चित करने के लिए स्पीड कैमरा, सीसीटीवी कैमरा, स्पीड गन, बॉडी-वॉर्न कैमरा और स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करना है।
शीर्ष अदालत 2012 में सड़क सुरक्षा पर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।
भाषा धीरज वैभव
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