Saturn rings will disappear in 2025: सौरमंडल में दिखने वाला सबसे अनोखे ग्रह, ‘शनि ग्रह’ है। इस ग्रह के चारों के छल्ले इसे सारे ग्रहों से सबसे अलग बनाते हैं। लेकिन, सुनकर आपको हैरानी होगी की सबसे अलग दिखने वाला ये ग्रह साल 2025 में गायब होने वाला है। जी हां, वैज्ञानिकों ने ये खुलासा किया है। हालांकि यह अपनी जगह मौजूद रहेंगे, लेकिन इन्हें देखना मुश्किल होगा। इसके बाद ये छल्ले 2032 में फिर वापस आ जाएंगे। तब शनि घूमेगा और अपने छल्लों के दूसरे हिस्से को दिखाएगा।
100 मिलियन साल पुराने हैं शनि ग्रह के छल्लें
विशेषज्ञों का मानना है कि छल्ले लगभग 100 मिलियन साल पुराने हैं। ये सौ मिलियन सालों के भीतर नष्ट भी हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ये छल्ले शनि ग्रह के छल्ले करोड़ों पत्थरों और बर्फीले पिंडों से बने है और लगातार ग्रह का चक्कर लगा रहे हैं। धरती से एक टेलीस्कोप से भी इन छल्लों को देखा जा सकता है। शनि ग्रह के छल्ले सदियों से खगोलविदों और अंतरिक्ष में रुचि रखने वालों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। अब इस बीच एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि यह खत्म हो जाएंगे, लेकिन अभी इन्हें खत्म होने में लाखों साल लग जाएंगे।
किस वजह से नहीं दिखेंगे छल्लें
साल 2032 तक यह ऑप्टिकल भ्रम बना रहेगा। जब छल्लों के नीचे का हिस्सा नजर आने लगेगा, तो यह फिर से रात में नजर आने लगेंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक, शनि के छल्ले 2 लाख 81 हजार किमी चौड़े हैं, लेकिन यह करीब सिर्फ एक किमी मोटे हैं। इसकी वजह से जब यह धरती के सीध में होंगे, तो इनको देखना मुश्किल होगा और हमें लगेगा कि शनि का कोई छल्ला नहीं होगा। शनि ग्रह के मुख्य रूप से सात छल्ले हैं।
साल 2025 में होंगी हैरान करने वाली घटनाएं
धरती की एक सीधी रेखा में शनि ग्रह नहीं है और करीब 9 डिग्री के कोण पर झुका है, लेकिन साल 2024 तक कोण घटकर सिर्फ करीब 3.7 डिग्री तक रह जाएगा, लेकिन साल 2025 में कुछ हैरान करने वाली घटनाएं होंगी। धरती से शनि के दूर जाने की वजह से इसकी धुरी अपनी झुकी अवस्था से एक वर्टिकल स्थिति में पहुंच जाएगी। इस बदलाव की वजह से शनि के छल्ले धरती के समानांतर एक पतली क्षैतिज पट्टी की तरह नजर आएंगे। इसकी वजह से छल्लों को धरती से देखना मुश्किल होगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब धरती पर डायनासोर रहते थे, तभी शनि ग्रह के छल्लों का निर्माण हुआ था। वैज्ञानिक मानते हैं कि यह छल्ले धूमकेतुओं और एस्टेरॉयड के अवशेष से बने हैं और यह कभी ग्रह के सतह पर नहीं पहुंचे। शनि ग्रह के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण से यह टूट गए। शनि एक विशाल गैसीय ग्रह है और सूर्य से दूर छठा ग्रह है। सूर्य से शनि की दूरी 88.6 करोड़ किमी है, जबकि धरती से शनि की दूरी 79.3 करोड़ किमी है। शनि आकार के मामले में धरती से साढ़े नौ गुना बड़ा है।