10 साल की मासूम को मिला इंसाफ, सरपंच के पोते को सुनाई फांसी की सजा, 3 महीने के अंदर हुआ फैसला

Sarpanch's grandson sentenced to death: 10 साल की मासूम को मिला इंसाफ, सरपंच के पोते को सुनाई फांसी की सजा, 3 महीने के अंदर हुआ फैसला

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  • Publish Date - October 2, 2022 / 12:31 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:45 PM IST

Sarpanch’s grandson sentenced to death: डूंगरपुर। इन दिनों मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी के मामले रोज सामने आते है। लेकिन कई मामलों में कई साल तक सुनवाई चलती है तो कई बार आरोपी कुछ ही साल की सजा काटकर वापस बाहर आ जाते है। लेकिन राजस्थान में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। दरअसल यहां सरपंच के पोते को फांसी की सजा सुनाई गई है। बता दें कि राजस्थान के डूंगरपुर जिले में एक सरपंच के पोते ने घर में सो रही एक नाबालिग का अपहरण कर लिया। बाद में उसके साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी। घटना के बाद शव रास्ते पर फेंक दिया और अनजान बन गांव में ही घूमता रहा। पुलिस की जांच में संदेह होने पर वह घटना से अनजान बना रहा।

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70 दिन में हुआ फैसला

Sarpanch’s grandson sentenced to death: घटना के बाद जब पुलिस ने उसका डीएनए टेस्ट करवाया तो उसमें दोषी पाए जाने पर उसे गिरफ्तार कर लिया। मामले में अब कोर्ट ने उसे फांसी की सजा के साथ पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। खास बात ये है कि पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार ने ये अहम फैसला 70 दिन की सुनवाई में सुनाया है। इससे पहले पुलिस ने भी 20 दिन में ही आरोपी के खिलाफ चालान पेश कर दिया था। सुनवाई के बाद डूंगरपुर पोक्सो कोर्ट ने आरोपी जितेन्द्र को दोषी मान लिया। जिसके आधार पर शनिवार को न्यायाधीश संजय कुमार भटनागर ने आरोपी को जुर्माने के साथ फांसी की सजा सुनाई है। ऐसे में 90 दिन में ही एक बलात्कारी फांसी के तख्ते तक पहुंच गया।

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ये था मामला

Sarpanch’s grandson sentenced to death: दरअसल, स्पेशल पोक्सो कोर्ट के लोक अभियोजक योगेश कुमार जोशी ने बताया कि मृतका की मां ने 29 जून को पुलिस थाने में रिपोर्ट दी थी। जिसमें बताया कि रात को जब उसकी 10 साल की बेटी घर में सो रही थी तभी कोई उसका अपहरण करके ले गया। दूसरे दिन शाम को उसका शव पुलिया के नीचे लहूलुहान हालत में मिला। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने एफएसएल रिपोर्ट व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच की तो सरपंच का पोता जितेन्द्र उर्फ जीतू संदिग्ध पाया गया। जिसने पूछताछ में घटना करने से साफ इनकार कर दिया। इस पर पुलिस ने आरोपी का डीएनए टेस्ट करवाया। जिसके आधार पर वह दोषी पाया गया।

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