कांग्रेस आला कमान की कार्यशैली से 100 से अधिक सांसद और नेताओं में नाराजगी: संजय झा

कांग्रेस आला कमान की कार्यशैली से 100 से अधिक सांसद और नेताओं में नाराजगी: संजय झा

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  • Publish Date - August 17, 2020 / 01:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस के शिर्ष नेतृत्च के चलते एक ​बार फिर नेताओं के नाराजगी की खबरें सामने आ रही है। दरअसल पार्टी के पूर्व दिग्गज नेता संजय झा ने ट्वीट कर कहा है कि पार्टी की कार्यशैली को लेकर कांग्रेस के सांसद सहित 100 से अधिक नेता नाराज हैं। संजय झा ने यह भी कहा है कि नाराज नेताओं ने सोनिया गांधी को लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। लेकिन कांग्रेस आला कमान ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। कांग्रेस आलाकमान का कहना है कि ऐसी कोई चिट्ठी नहीं है और न ही ऐसी कोई चिट्ठी मिली है। संजय झा तो सिर्फ बीजेपी के इशारे पर फेसबुक-बीजेपी लिंक केस से पर्दा हटाने के लिए इस तरह का ट्वीट किया है।

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संजय झा ने अपने ट्वीट में लिखा- यह अनुमान लगाया जाता है कि पार्टी के भीतर लगभग 100 कांग्रेस नेता (सांसद सहित), राज्य में मामलों की स्थिति से व्यथित हैं, उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा है, जिसमें राजनीतिक नेतृत्व और सीडब्ल्यूसी में पारदर्शी चुनावों में बदलाव की मांग की गई है।

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संजय झा कांग्रेस में प्रवक्ता और संगठन में अहम पदों पर रहे हैं। बीते महीने 14 जुलाई को उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के खिलाफ काम करने और अनुशासन तोड़ने को लेकर संजय झा के खिलाफ ये कार्रवाई की थी। इससे पहले जून में एक लेख लिखने पर उन्हें प्रवक्ता पद से हटा दिया गया था।

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संजय झा ने कोरोना संकट के दौरान कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करते हुए एक प्रमुख अखबार में एक लेख लिखा था और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी की ओर इशारा किया था। लेख में झा ने कहा था कि यह एक ‘गलत’ दावा है कि कांग्रेस के पास अपने सदस्यों को सुनने और पार्टी, राजनीतिक रणनीति और नेतृत्व विकास के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक मजबूत आंतरिक तंत्र है। कांग्रेस ने लचरता का प्रदर्शन किया है और अपनी स्वयं की राजनीतिक अप्रचलनता के प्रति उसका अड़ियल रवैया चकित करने वाला है। उदाहरण के लिए, मेरे जैसे किसी व्यक्ति के लिए गांधीवादी दर्शन और कांग्रेस को परिभाषित करने वाले नेहरूवादी दृष्टिकोण को स्थायी रूप से खारिज कर दिया गया है।

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