लखनऊ। Govt Removed to Contract Employees of Health Department संविदा कर्मचारियों की नौकरी को अनिश्चित माना जाता है। संविदा आधार पर सरकारी सेवा में लगे सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने में ज्यादा देर नहीं लगता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश से सामने आया है। यहां कोरोना महामारी के समय संविदा पर भर्ती किए गए पांच हजार स्वास्थ्य कर्मियों को अब नौकरी से निकाल दिया गया है। 30 जून के बाद इन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया गया और जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारी इनसे कार्य न लेने का आदेश भी जारी कर रहे हैं। इस फैसले के बाद अब हजारों संविदा कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। लिहाजा इन कर्मचारियों ने अब आंदोलन तक की चेतावनी दे दी है।
Govt Removed to Contract Employees of Health Department दरअसल, उत्तर प्रदेश ने कोरोना काल के समय रोगियों की जांच व उपचार के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, लैब टेक्नीशियन, स्टाफ नर्स, कंप्यूटर आपरेटर, आयुष चिकित्सक और नान मेडिकल साइंटिस्ट इत्यादि के पदों पर संविदा पर सात हजार लोगों की भर्ती की थी। इन्हें अलग-अलग 10 हजार से लेकर 55 हजार रुपये तक मासिक मानदेय दिया जा रहा था। बीते एक वर्ष से भारत सरकार की ओर से बजट न दिए जाने के कारण धीरे-धीरे जिन पदों पर कर्मचारियों की जरूरत नहीं थी, उन्हें हटाया जाने लगा। करीब दो हजार संविदा कर्मचारी निकाल दिए गए।
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री सच्चिदानंद मिश्रा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखकर मांग की गई है कि इन्हें न हटाया जाए। तीन-तीन महीने का सेवा विस्तार इन्हें दिया जाए। तमाम खाली पदों पर इन्हें समायोजित किया जा सकता है। उधर, संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय का कहना है कि उनकी वार्ता उच्चाधिकारियों से हुई है और पूरी कोशिश की जा रही है कि इन्हें काम पर रखा जाए। अगर इन्हें सेवा विस्तार न मिला तो आंदोलन किया जाएगा।