देहरादूनः Samvida Karmchari Niyamitikaran News नियमितीकरण सहित अन्य मांगों को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे संविदा कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। हाईकोर्ट से आदेश मिलने के बाद अब शासन स्तर पर नियमितीकरण की कवायद तेज हो गई है। उत्तराखंड सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों की असल संख्या पता करने के लिए डाटा तैयार करने के लिए निर्देशित किया है। ताकि इन कर्मचारियों की असल संख्या की सटीक जानकारी उपलब्ध रहे और नियमितीकरण के समय किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो। नियमितीकरण नियमावली में सिर्फ संविदा कर्मचारियों को ही लिया जाएगा।
Samvida Karmchari Niyamitikaran News यूं तो संविदा कर्मचारियों के लिए चुनाव के समय में कई वादे और दावे किए जाते हैं, लेकिन सरकार बनने के बाद इन लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। संविदा कर्मचारी नियमितीकरण सहित अन्य मांगों को लेकर लगातार लड़ाई दिखते हैं। अब उत्तराखंड सरकार की ओर से किए जा रहे कवायद के बाद संविदा कर्मचारियों में एक बार फिर आस जगी है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तराखंड में मौजूदा समय में संविदा, आउटसोर्स कर्मचारियों का एक संभावित आंकड़ा 40 हजार के करीब माना जाता है, लेकिन सटीक संख्या शासन स्तर पर भी नहीं है। इसके लिए इस बार विभागवार काम कर रहे हर तरह के कर्मचारी का डाटा एकत्र किया जा रहा है। कार्मिक विभाग के निर्देश पर स्थायी कर्मचारियों के अलावा तदर्थ, वर्कचार्ज, दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, संविदा, उपनल, पीआरडी, स्वयं सहायता समूह कर्मचारियों के साथ ही ठेका कर्मचारियों की असल संख्या जुटाई जा रही है। अपर मुख्य कार्मिक सचिव आनंद वर्द्धन के मुताबिक राज्य में संविदा, आउटसोर्स कर्मचारियों की असल संख्या क्या है, इसका एक डाटा तैयार कराया जा रहा है। ताकि इन कर्मचारियों की असल संख्या की सटीक जानकारी उपलब्ध रहे। नियमितीकरण नियमावली में सिर्फ संविदा कर्मचारियों को ही लिया जाएगा।
हाईकोर्ट ने नरेंद्र सिंह बिष्ट और चार अन्य विशेष अनुमति याचिकाओं की सुनवाई के बाद वर्ष 2013 की नियमितीकरण नियमावली पर मुहर लगाई है, जिसके बाद से शासन स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। अब कार्मिक और वित्त विभाग नियमितीकरण के सभी पहलुओं को बारीकी से देख रहा है। 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की उम्मीदें भी परवान चढ़ने लगी हैं। जिन विभागों में पद रिक्त होंगे, तो उनके सापेक्ष संविदा, उपनल या अन्य माध्यमों से कार्य कर रहे कर्मचारियों को मौका मिल सकता है। रिक्त पदों के सापेक्ष अधिक दावेदार होने पर वरिष्ठता सूची भी बनाई जा सकती है। इन सबके साथ ये भी देखा जाएगा कि कितने पद रिक्त हैं, अर्हता क्या है, आयु कितनी है। शासन के अफसरों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में मंथन शुरू कर दिया गया है।
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