Same-sex marriage verdict: मेल-फिमेल ट्रांसजेंडर्स को एक दूसरे से शादी करने का अधिकार, सेम सैक्स मैरिज स्वीकार्य नहीं…

Same-sex marriage verdict: मेल-फिमेल ट्रांसजेंडर्स को एक दूसरे से शादी करने का अधिकार, सेम सैक्स मैरिज स्वीकार्य नहीं…

Same-sex marriage verdict: मेल-फिमेल ट्रांसजेंडर्स को एक दूसरे से शादी करने का अधिकार, सेम सैक्स मैरिज स्वीकार्य नहीं…
Modified Date: October 17, 2023 / 12:46 pm IST
Published Date: October 17, 2023 12:46 pm IST

दिल्ली: Same Sex Marriage: आज समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। लेकिन इस फैसले को आने में थोड़ा वक्त लगने वाला है। जी हां सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई करते हुए कहा कि अभी फैसला आने में वक्त लगेगा। क्योकि समलैंगिक विवाह मौलिक रुप से स्वीकार्य नहीं है। लेकिन मेल-फिमेल ट्रांसजेंडर्स को एक दूसरे से शादी करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि अगर इसे इजाजत नहीं दी गई तो यह ट्रांसजेंडर अधिनियम का उल्लंघन होगा। CJI ने ये भी कहा कि अदालतें कानून नहीं बनाती है। कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर सकता है।

वहीं दूसरी ओर सीजेआई ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के लिए वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में कोई भेदभाव न हो और सरकार को समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करने का निर्देश दिया। सरकार समलैंगिक समुदाय के लिए हॉटलाइन बनाएगी, हिंसा का सामना करने वाले समलैंगिक जोड़ों के लिए सुरक्षित घर ‘गरिमा गृह’ बनाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि अंतर-लिंग वाले बच्चों को ऑपरेशन के लिए मजबूर न किया जाए।
यह सुनवाई SC की पांच जजों की संविधान पीठ ने मिलकर की है। इस सुनवाई को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, संजय किशन कौल, रवींद्र भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता में किया गया है। जिसमें ये कहा गया है कि केवल विशेष विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह अधिनियम के कानूनी पहलू को देखा जा रहा है, आपको बता दें कि यह याचिका 18 समलैंगिक जोड़ो की तरफ से विवाह को काननी मंजूरी देने के साथ-साथ रिलेशनशिप को मान्यता देने के लिए दायर की गई थी। जिसमें पहली सुनवाई 11 मई को की गई थी। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद से ही सभी की नजरें इस फैसले पर टिकी हुई थी।

इस धारा के तहत समलैंगिक संबंध अपराध है

हालांकि इस सेम सेक्स रिलेशनशिप को साल 2018 में ही सुपीम कोर्ट ने अपराध की श्रेणी से बरी करने वाला फैसला दिया था। लेकिन सवैंधानि धारा IPC 377 केहत समलैंगिक संबंधों को अपराध माना जाने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उस समय कानूनी तौर पर मान्यता देने को लेकर अटकलें लगा दी थी। यही नहीं इस मामले पर केंद्र सरकार का तर्क था कि इस बारे में कोई भी कानून बनाने का विषय सरकार का है। सरकार का कहना था। कि ये ना सिर्फ देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरंपरा के खिलाफ है बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में बदलाव करना होगा और पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ होगी।

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इन देशों में सेम सेक्स मैरिज को मिली थी मान्यता

जहां भारत में इस एक्ट को मंजूरी देने को लेकर सरकार के साथ-साथ सभी नागरिको के अलग-अलग तर्क सामने आए थे, तो वहीं दूसरी ओर 34 ऐसे देश थे, जंहा समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई थी। इन 34 देशों में क्यूबा, एंडोरा, स्लोवेनिया, चिली, स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेल ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, इक्वेडोर, बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्समबर्ग, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन स्वीडन, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, कनाडा, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड और उरुग्वे का नाम शामिल है. इन देश में दुनिया की 17 फीसदी आबादी रहती है। वहीं दूसरी ओर तीन देशों एंडोरा, क्यूबा और स्लोवेनिया ने पिछले साल ही वैध इसे किया है। वही सबसे पहले 2001 में इसकी शुरुआत नीदरलैंड ने की थी। वहीं 23 देश तो ऐसे है। जहां कानूनी तौर पर सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिली थी।

इन देशों में सजा का प्रावधान…

वहीं दूसरी ओर साउथ अफ्रीका और ताइवान के साथ-साथ कई ऐसे देश शामिल है , जहां कोर्ट के आदेश से इसे अपराध माना है। यहां सेम सेक्स मैरिज की मैरिज की स्वीकार्य नहीं है। इनकी संख्या करीब 64 है. यहां सेम सेक्स रिलेशनशिप को अपराध माना गया है और सजा के तौर पर मृत्युदंड भी शामिल है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जापान समेत सात बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भी सेम सेक्स मैरिज को कानूनी अनुमति नहीं देते हैं.।

इस पूरे मामले पर स्प्रिंग 2023 ग्लोबल एटिट्यूड्स सर्वे’ का दावा

इस पूरे मामले को लेकर सर्वे में भारत के लोगों के समर्थन का भी दावा किया गया है। प्यू रिसर्च सेंटर के ‘स्प्रिंग 2023 ग्लोबल एटिट्यूड्स सर्वे’ में पाया गया है, करीब 53% भारतीय ऐसे है, जो समलैंगिक विवाह को वैध बनाने की बात को स्वीकार कर रहे हैं। भारत में ये लोग कहते हैं कि समलैंगिक जोड़ों के लिए इंडिया बेहतर जगह बन गई है।

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लेखक के बारे में

विगत 2018 से मीडिया क्षेत्र में कार्यरत्त हूं। इलेक्ट्रनिक मीडिया के साथ डिजिटल मीडिया का अनुभव है। Jake of All Master Of None...