आरएसएस नेता हत्याकांड : एनआईए ने 17 पीएफआई सदस्यों की जमानत को शीर्ष अदालत में चुनौती दी

आरएसएस नेता हत्याकांड : एनआईए ने 17 पीएफआई सदस्यों की जमानत को शीर्ष अदालत में चुनौती दी

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  • Publish Date - October 19, 2024 / 06:34 PM IST,
    Updated On - October 19, 2024 / 06:34 PM IST

नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है, जिसके तहत 2002 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता श्रीनिवासन की हत्या के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 17 सदस्यों को जमानत दी गई थी।

एनआईए की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भट्टी ने न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह को बताया कि जांच एजेंसी ने मामले में 17 अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की हैं।

भट्टी ने पीठ को सूचित किया कि केरल उच्च न्यायालय ने 25 जून के अपने आदेश में 17 आरोपियों को जमानत दे दी थी और नौ अन्य की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

उन्होंने शुक्रवार को पीठ से आग्रह किया, “हमने 17 अलग-अलग विशेष अनुमति याचिकाएं (एसएलपी) दायर की हैं। यह अदालत सभी एसएलपी पर एक साथ विचार कर सकती है।”

आरोपी सद्दाम हुसैन एमके की याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ से सभी मामलों को एक साथ सूचीबद्ध करने की अनुमति ले। केरल उच्च न्यायालय ने सद्दाम की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

आरएसएस नेता की हत्या के मामले में जमानत पाने वाले सभी आरोपी केरल के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोप में भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

विशेष अदालत ने मामले के 26 आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था। आरोपियों ने फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने इनमें से 17 को जमानत दे दी थी और नौ अन्य की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

जमानत देते हुए उच्च न्यायालय ने 17 आरोपियों पर कड़ी शर्तें लागू की थीं। आरोपियों को जांच अधिकारी से अपना मोबाइल नंबर और रियल-टाइम जीपीसी लोकेशन साझा करने का निर्देश दिया गया था। उन पर केरल न छोड़ने, अपना पासपोर्ट जमा करने और मोबाइल फोन हमेशा ‘चार्ज’ एवं चालू रखने की शर्त भी लागू की गई थी।

केरल के पलक्कड़ जिले में 16 अप्रैल, 2022 को श्रीनिवासन की हत्या के सिलसिले में 51 लोगों को आरोपी बनाया गया था। गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक की मौत हो गई, जबकि सात आरोपी फरार हैं।

बाकी आरोपियों के खिलाफ जुलाई और दिसंबर 2022 में दो चरणों में आरोप पत्र दाखिल किए गए थे।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि जब पुलिस इस हत्याकांड की जांच कर रही थी, तब केंद्र को सूचना मिली थी कि केरल में पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने केरल तथा देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने व आतंकवादी कृत्यों क अंजाम देने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को कट्टरपंथी बनाने की साजिश रची थी।

इसके बाद केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में एनआईए को आरोपियों के खिलाफ मामले की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था।

भाषा

पारुल पवनेश

पवनेश