Kashmir Rock Glacier : जम्मू-कश्मीर। मौसम में जल्द बदलाव होने वाले हैं। कुछ ही महीनों में गर्मी का मौसम शुरू हो जाएगा। वहीं उत्तर भारत में ग्रीष्मकाल के दौरान हिमानी चट्टानें या हिमालय के ग्लेशियर पिघलने शुरू हो जाते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं को इंगित करता है। आपको बता दें कि कश्मीर हिमालय पर्माफ्रॉस्ट संरचनाओं से भरा हुआ है, जिसे ‘रॉक ग्लेशियर’ भी कहा जाता है। जो अब गर्म से धीरे धीरे पिघलना शुरू हो गया है। इसका पिघलना एक बड़ी तबाही को न्योता देने जैसा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में पड़ रही गर्मी की वजह से वहां के 100 से ज्यादा सक्रिय पर्माफ्रॉस्ट को पिघलने का खतरा है। इन्हें रॉक ग्लेशियर भी कहते हैं, जिनके अंदर भारी मात्रा में पानी जमा होता है। अगर तापमान ज्यादा बढ़ा तो ये पिघल कर घाटी में भारी तबाही मचा सकते हैं। सबसे ज्यादा असर झेलम नदी के बेसिन में होगा।
जानकारी के मुताबिक हाल ही में हुई एक स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है। यह स्टडी केरल के अमृता विश्व विद्यापीठम के अमृता स्कूल फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स के शोधकर्ताओं ने की है। स्टडी करने वाली टीम का नेतृत्व रेम्या एस. एन ने किया है। रेम्या ने बताया कि जिस तरह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अब वह रॉक ग्लेशियर में बदलते जा रहे हैं। इससे चिरसार लेक और ब्रमसार लेक के पास का इलाका ज्यादा रिस्की हो गया है। यहां पर केदारनाथ, चमोली या सिक्किम जैसे ग्लेशियल लेकर आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) जैसे हादसे हो सकते हैं। चिरसार लेक रॉक ग्लेशियर के कोने पर बना है। उन्होंने बताया कि अगर यह इलाका और गर्म होता है तो झेलम बेसिन में भारी तबाही आ सकती है।
बता दें कि पर्माफ्रॉस्ट असल में जमीन की वो परतें होती हैं, जो कम से कम दो साल से जमी हुई हों। आमतौर पर इनकी खबरें ग्रीनलैंड, अलास्का और साइबेरिया से आती हैं। वहां ये ज्यादा पाए जाते हैं। लेकिन हिमालय के रॉक ग्लेशियर्स के बारे में जानकारी कम पता है। दुनिया के कुछ पहाड़ी इलाकों में जलवायु परिवर्तन के हिसाब से रॉक ग्लेशियर काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि इनके अंदर भारी मात्रा में जमी हुई बर्फ और पानी होता है।
Kashmir Rock Glacier : पहाड़ों पर रॉक ग्लेशियर तब बनते हैं जब पर्माफ्रॉस्ट, पत्थर और बर्फ एकसाथ जम जाते हैं। सामान्य प्रक्रिया के मुताबिक पहले से मौजूद ग्लेशियर से पत्थर और मिट्टी का कचरा आकर मिल जाए। जैसे-जैसे यह ग्लेशियर पिघलेगा ये पथरीली मिट्टी और बर्फ रॉक ग्लेशियर में बदल जाएंगे। पिछले पांच दशकों में धरती पर यह प्रक्रिया बहुत तेजी से हुई है। वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग।