RLD All Spokesperson Removed: पार्टी मुखिया का आदेश.. पद से हटाए गए देशभर के सभी राष्ट्रीय प्रवक्ता, अमित शाह के खिलाफ बयान देना पड़ा महंगा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरएलडी के प्रवक्ता कमल गौतम ने गृहमंत्री के बयान पर टिप्पणी करते हुए इसे "अनुचित" बताया। उन्होंने कहा, "अमित शाह का यह बयान गलत है। उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।

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  • Publish Date - December 23, 2024 / 06:52 PM IST,
    Updated On - December 23, 2024 / 06:52 PM IST

RLD All National Spokesperson Removed Order: नई दिल्ली। केंद्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी और एनडीए का हिस्सा राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपनी पार्टी के सभी प्रवक्ताओं को तत्काल प्रभाव से उनके पदों से हटा दिया है। पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह निर्णय तुरंत लागू किया गया है।

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इस फैसले के पीछे संभावित कारण यह बताया जा रहा है कि आरएलडी के एक प्रवक्ता ने हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान की आलोचना की थी। अमित शाह ने राज्यसभा में डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिसके बाद विपक्षी दलों की ओर से इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई।

क्या था गृहमंत्री अमित शाह का बयान?

RLD All National Spokesperson Removed Order: दरअसल पिछेल दिनों राज्यसभा में चर्चा के दौरान अमित शाह ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा था, “आजकल एक नया फैशन चल पड़ा है- आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लिया होता, तो सात जन्म तक स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती।” अमित शाह के इस बयान को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने डॉ. आंबेडकर का अपमान बताया। उन्होंने गृहमंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए माफी की मांग की थी। कांग्रेस ने इसे दलितों और उनके आदर्शों का अनादर करार दिया और गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए है।

प्रवक्ता की प्रतिक्रिया और विवाद

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरएलडी के प्रवक्ता कमल गौतम ने गृहमंत्री के बयान पर टिप्पणी करते हुए इसे “अनुचित” बताया। उन्होंने कहा, “अमित शाह का यह बयान गलत है। उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। जो लोग बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को भगवान मानते हैं, वे अपने विश्वास पर अडिग रहेंगे।”

RLD All National Spokesperson Removed Order: इस प्रतिक्रिया के बाद आरएलडी नेतृत्व ने सभी प्रवक्ताओं के पद निरस्त करने का निर्णय लिया। पार्टी ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई विस्तृत स्पष्टीकरण नहीं दिया है, लेकिन यह कदम पार्टी की आंतरिक व्यवस्था को बनाए रखने का संकेत माना जा रहा है।

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राजनीतिक माहौल

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब विपक्षी दलों द्वारा डॉ. आंबेडकर के विचारों और उनकी विरासत पर लगातार जोर दिया जा रहा है। साथ ही, सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच बयानबाजी का दौर भी जारी है। आरएलडी की इस कार्रवाई को पार्टी की अनुशासनात्मक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले चुनावों में दलित मतदाताओं को प्रभावित करने के प्रयासों से भी जुड़ी हो सकती है।

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