अमीर देश डब्ल्यूएचओ को अधिक योगदान देते हैं : स्वामीनाथन

अमीर देश डब्ल्यूएचओ को अधिक योगदान देते हैं : स्वामीनाथन

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  • Publish Date - January 25, 2025 / 07:08 PM IST,
    Updated On - January 25, 2025 / 07:08 PM IST

हैदराबाद, 25 जनवरी (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने शनिवार को कहा कि अमेरिका का डब्ल्यूएचओ से बाहर निकलना सिर्फ उस देश के लिए ही नहीं, बल्कि किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा और वैश्विक निकाय को वित्त पोषण संबंधित देशों की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) पर निर्भर करता है।

स्वामीनाथन ने उम्मीद जताई कि बड़े पैमाने पर तकनीकी और वैज्ञानिक विशेषज्ञता से लैस अमेरिका अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा।

उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका डब्ल्यूएचओ से बाहर निकलता है, तो उसके लिए दुनिया के अन्य हिस्सों से जुड़े डब्ल्यूएचओ के डेटा तक पहुंच हासिल करना और समाधानों का हिस्सा बनना वास्तव में मुश्किल हो जाएगा।

स्वामीनाथन ने हैदराबाद साहित्य महोत्सव से इतर ‘पीटीआई वीडियो’ से बातचीत में कहा, “जो देश जितना अमीर होगा, उसका योगदान उतना अधिक होगा, क्योंकि आपको अपने सकल घरेलू उत्पाद के एक निश्चित भाग का भुगतान करना होता है। मौजूदा व्यवस्था बहुत निष्पक्ष है। आप कांगो जैसे छोटे मध्य अफ्रीकी देश से यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह अमेरिका के समान राशि का भुगतान करे।”

स्वामीनाथन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रही थीं कि 32.5 करोड़ की आबादी वाला उनका देश डब्ल्यूएचओ को 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वित्त पोषण देता है, जबकि 1.4 अरब जनसंख्या वाला चीन वैश्विक स्वास्थ्य निकाय को महज 3.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वित्त पोषण प्रदान करता है।

ट्रंप ने हाल ही में अमेरिका को डब्ल्यूएचओ से अलग करने की प्रक्रिया शुरू करने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। पांच साल से भी कम समय में यह दूसरी बार है, जब अमेरिका ने वैश्विक स्वास्थ्य निकाय से बाहर निकलने के लिए कदम उठाया है।

स्वामीनाथन ने कहा कि भविष्य में स्वास्थ्य सुरक्षा और लोगों को महामारी से बचाने के लिए अमेरिका सहित सभी देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका डब्ल्यूएचओ का हिस्सा नहीं रहता है, तो यहां तक कि उसके लिए यह जानने के लिए डेटा तक पहुंच हासिल करना और समाधानों का हिस्सा बनना मुश्किल होगा कि दुनिया के अन्य हिस्सों में क्या हो रहा है।”

स्वामीनाथन ने कहा, “मुझे लगता है कि यह वास्तव में किसी के लिए भी अच्छा नहीं है कि इतना महत्वपूर्ण, इतना बड़ा देश अलग होने जा रहा है।”

उन्होंने बीमारियों के वैश्विक प्रसार के जोखिम के प्रति आगाह करते हुए कहा कि आज दुनिया के एक हिस्से में उभरने वाला संक्रमण महज 30 घंटे के भीतर पूरी दुनिया में फैल सकता है।

स्वामीनाथन ने कहा, “इसलिए जब तक हमारे पास वैश्विक साझेदारी, वैश्विक नीतियां एवं नियम-कानून और देशों के बीच आपसी समझ नहीं होगी, तब तक वैश्विक स्वास्थ्य के समक्ष मौजूद खतरों से निपटना नामुमकिन होगा।”

उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ एक ऐसा मंच है, जहां दुनिया के 193 देश जुटते हैं, मुद्दों पर चर्चा एवं बहस करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम एवं महामारी की रोकथाम से जुड़ी संधियों पर आम सहमति बनाते हैं।

भाषा पारुल रंजन

रंजन