(तस्वीरों के साथ)
कोलकाता, 20 जनवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित सरकारी आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले साल अगस्त में एक महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या के मामले में शनिवार को दोषी करार दिये गए संजय रॉय को सियालदह की अदालत ने सोमवार को आजीवन कारवास की सजा सुनाई।
सियालदह की अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने शनिवार को रॉय को पिछले वर्ष नौ अगस्त को अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक के खिलाफ किये गए जघन्य अपराध के मामले में दोषी ठहराया था। इस घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था और पश्चिम बंगाल में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए।
अदालत ने रॉय पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और राज्य सरकार को मृतक चिकित्सक के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
न्यायाधीश दास ने कहा कि यह अपराध ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम’’ श्रेणी में नहीं आता, जिससे दोषी को मृत्युदंड दिया जा सके।
रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मृत्यु का कारण बनने की सजा) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया था।
न्यायाधीश ने कहा, ‘सीबीआई ने मृत्युदंड देने का अनुरोध किया। बचाव पक्ष के वकील ने गुहार लगाई है कि मृत्युदंड के बजाय कारावास की सजा दी जाए…यह अपराध दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है।
न्यायाधीश ने कहा कि धारा 64 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा रही है और 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा रहा है। न्यायाधीश ने कहा कि जुर्माना अदा न करने पर पांच महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
अदालत ने कहा कि धारा 103(1) के तहत रॉय को आजीवन कारावास और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई जाती है और जुर्माना नहीं देने पर उसे पांच महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि इसके अतिरिक्त धारा 66 के तहत भी उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाती है। उन्होंने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
न्यायाधीश दास ने कहा, ‘‘चूंकि पीड़िता की मौत उसके कार्यस्थल अस्पताल में ड्यूटी के दौरान हुई, इसलिए राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह चिकित्सक के परिवार को मुआवजा दे। मृत्यु के लिए 10 लाख रुपये और दुष्कर्म के लिए सात लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है।’’
न्यायाधीश ने रॉय को सूचित किया कि उसे इस निर्णय के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है और जरूरत पड़ने पर उसे कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी।
न्यायाधीश ने यह सजा दोषी के अंतिम बयान, बचाव पक्ष, पीड़िता के परिवार के वकील और सीबीआई की दलीलों को सुनने के बाद सुनाई।
इससे पहले, दिन में रॉय ने अदालत में दावा किया कि वह निर्दोष है और उसे ‘‘गलत तरीके से दोषी ठहराया गया है’’।
रॉय ने मामले में सजा सुनाए जाने से पहले अदालत से कहा,‘‘मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैंने कुछ भी नहीं किया है और फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है।’’
सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील और पीड़िता के माता-पिता के वकील ने दोषी को अधिकतम सजा देने का अनुरोध करते हुए दलील दी कि यह ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ अपराध का मामला है।
फैसले के बाद पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि वे अदालत के निर्णय से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं, जिसमें दोषी को आजीवन कारावास तथा पीड़िता के परिवार को वित्तीय सहायता देने की बात की गई। उन्होंने कहा कि वे न्याय के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
उन्होंने दावा किया कि जांच लचर रवैये के साथ किया गया और अपराध में शामिल कई अन्य अपराधियों को बचाया गया।
पीड़िता की मां ने कहा, ‘‘हम स्तब्ध हैं। यह दुर्लभतम मामला कैसे नहीं हो सकता? ड्यूटी पर तैनात एक चिकित्सक के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। हम स्तब्ध हैं। इस अपराध के पीछे एक बड़ी साजिश थी।’’
मुआवजे के आदेश पर मृतका के पिता ने कहा कि उन्हें कोई मुआवजा नहीं चाहिए। पिता ने संकल्प लिया कि जब तक अन्य सभी दोषियों को सजा नहीं मिल जाती, तब तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अदालत के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि यदि मामले की कोलकाता पुलिस ने जांच की होती तो मृत्युदंड सुनिश्चित होती।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी ने (दोषी के लिए) मृत्युदंड की मांग की थी, लेकिन अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मामला हमसे जबरन ले लिया गया। अगर यह (कोलकाता) पुलिस के पास ही रहा होता, तो हम सुनिश्चित करते कि उसे मौत की सजा मिले।’’
भाजपा के सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी के संगठनात्मक सह-प्रभारी अमित मालवीय ने फैसले के खिलाफ अपील करने और जांच एजेंसियों से कथित तौर पर सबूत नष्ट करने के लिए कोलकाता के तत्कालीन आयुक्त और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भूमिका की जांच करने की मांग की।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में आरोपी संजय रॉय के लिए आजीवन कारावास और 50,000 रुपये का जुर्माना न्याय का उपहास है। फैसले के खिलाफ अपील की जानी चाहिए।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता अग्निमित्रा पॉल ने भी सजा पर असंतोष व्यक्त किया और ‘मृत्युदंड’ और एक पूरक आरोप पत्र की मांग की। उन्होंने साथ ही अपराध में शामिल अन्य दोषियों का पता लगाने के लिए आगे की जांच की मांग की।
अपराध के बाद न्याय की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शनों में अग्रणी रहे कनिष्ठ चिकित्सकों ने पीड़ित के माता-पिता द्वारा लगाए गए बड़े षड्यंत्र के आरोपों की आगे की जांच की मांग की।
इस अपराध के विरोध में देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए, विशेष रूप से कोलकाता के कनिष्ठ चिकित्सकों ने लंबे समय तक अपना आंदोलन जारी रखा। उन्होंने पीड़िता के लिए न्याय और सरकारी अस्पतालों में कड़े सुरक्षा उपाय की मांग की।
पीड़िता का नौ अगस्त 2024 को अस्पताल के सेमिनार कक्ष में शव मिलने के बाद शुरुआती जांच कोलकाता पुलिस ने की और घटना के एक दिन बाद यानी 10 अगस्त को रॉय को गिरफ्तार किया।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। इस मामले के दोषी को मृत्युदंड देने की मांग की गई थी।
भाषा धीरज माधव
माधव