रिपोर्ट ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार पर प्रकाश डाला, कार्रवाई का आह्वान

रिपोर्ट ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार पर प्रकाश डाला, कार्रवाई का आह्वान

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  • Publish Date - December 13, 2024 / 08:54 PM IST,
    Updated On - December 13, 2024 / 08:54 PM IST

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) मानवाधिकार संगठन ‘सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स’ (सीडीपीएचआर) ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट पेश की जिसमें अगस्त 2024 में बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अल्पसंख्यकों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।

‘बांग्लादेश माइनॉरिटीज अंडर सीज: ए वेक-अप कॉल फॉर द इंटरनेशनल कम्युनिटी’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में राजनीतिक परिवर्तनों के मद्देनजर देश में हिंदू समुदाय को प्रभावित करने वाली हिंसा और अशांति की घटनाओं का विवरण दिया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, हसीना के इस्तीफे के बाद पांच से नौ अगस्त के बीच लूटपाट के 190 मामले दर्ज किए गए, 32 घरों में आग लगा दी गई, 16 मंदिरों को अपवित्र किया गया और यौन हिंसा की दो घटनाएं दर्ज की गईं।

इसमें कहा गया कि 20 अगस्त तक सामने आईं घटनाओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई जिसमें हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के कुल 2,010 मामले, 69 मंदिरों को अपवित्र करने और 157 परिवारों पर हमलों की घटनाएं शामिल हैं।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आठ अगस्त को मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बावजूद धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है।

सीडीपीएचआर की अध्यक्ष एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदू अध्ययन विभाग की निदेशक प्रेरणा मल्होत्रा ने स्थिति को ‘‘सभ्यतागत त्रासदी’’ बताया और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई का आह्वान किया।

रिपोर्ट में भारत के लिए व्यापक भू-राजनीतिक निहितार्थों की पड़ताल की गई है, जिसमें इतिहासकार कपिल कुमार ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में कट्टरवाद में वृद्धि पड़ोसी भारत के लिए संभावित सुरक्षा खतरा पैदा करती है।

इसमें बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए कई सिफारिश भी शामिल हैं। रिपोर्ट में अत्याचारों की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र समर्थित आयोग की स्थापना, शांति सेना की तैनाती और हिंसा के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ लक्षित प्रतिबंधों की मांग की गई है।

रिपोर्ट में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से धर्मनिरपेक्ष संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने, अल्पसंख्यक अधिकारों को बहाल करने और चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।

इसमें यह भी अनुशंसा की गई है कि पश्चिमी देशों और भारत सहित अंतरराष्ट्रीय निकाय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक एवं आर्थिक दबाव लागू करें।

भाषा नेत्रपाल संतोष

संतोष