जयपुर: Removing Girl’s Underwear देश में कड़े कानून होने के बाद भी रेप और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन कई बार कानून का दुरुपयोग कर फर्जी मामले भी दर्ज कराए जाते हैं। ऐसा ही एक मामला इन दिनों सामने आया है, जिसमें सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरोपी को बड़ी राहत दी है। वहीं, मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये भी कहा है कि नाबालिग लड़की का अंडरवियर उतारना और खुद नंगा हो जाना एक अलग अपराध की श्रेणी में आएगा। इसे महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध माना जाएगा।
Removing Girl’s Underwear मिली जानकारी के अनुसार ये मामला 33 साल पुराना है, जिसमें सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड की एकल पीठ ने कहा कि यह रेप करने की कोशिश का अपराध नहीं माना जाएगा। रेप की कोशिश के अपराध का मतलब है कि आरोपी ने तैयारी के चरण से आगे बढ़कर काम किया। अदालत ने फैसला सुनाया कि लड़की का अंडरवियर उतारना और खुद नंगा हो जाने का कृत्य आईपीसी की धारा 354 के तहत दंडनीय होगा। यह महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के दायरे में आएगा।
मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा- मामले में रखे गए तथ्यों से आईपीसी की धारा 376/511 के तहत अपराध के लिए कोई मामला साबित नहीं किया जा सकता है। आरोपी याचिकाकर्ता को रेप करने के प्रयास के अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। अभियोजन पक्ष पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से बल का प्रयोग करने का मामला साबित करने में सक्षम रहा है। यह अपराध धारा 354 आईपीसी के तहत आता है क्योंकि आरोपी तैयारी के चरण से आगे नहीं बढ़ा पाया था।
बता दें कि शिकायतकर्ता ने टोंक जिले के टोडारायसिंह में पुलिस में शिकायत दी थी कि 9 मार्च, 1991 को उसकी 6 वर्षीय पोती प्याऊ पर पानी पी रही थी। इसी दौरान आरोपी सुवालाल आया और रेप के इरादे से बच्ची को जबरन पास की धर्मशाला में ले गया। घटना रात 8:00 बजे की बताई गई थी। पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया था कि जब लड़की ने शोर मचाया, तो गांव के लोग वहां पहुंचे और पीड़िता को आरोपी के चंगुल से बचाया। यदि लोग नहीं पहुंचते तो आरोपी पीड़िता के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दे देता।