जल्द मिलेगी महंगाई से राहत! पेट्रोल-डीजल की कीमतें हो सकती हैं कम, वैश्विक स्तर पर लिया जाएगा ये बड़ा फैसला

Relief from inflation: Petrol and diesel prices may come down : महंगाई से राहत! पेट्रोल-डीजल की कीमतें हो सकती हैं कम, लिया जाएगा ये बड़ा फैसला

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  • Publish Date - June 4, 2022 / 08:09 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:47 PM IST

Relief from inflation : नई दिल्ली। लगातार बढ़ती महंगाई की मार झेल रही जनता को पेट्रोल-डीजल से राहत मिलने की उम्मीद है। तेल, गैस और अन्य दैनिक चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद आने वाले दिनों में जनता को पेट्रोल और डीजल के भाव से काफी राहत मिलेगी। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक प्लस) और रूस समेत अन्य सहयोगी देश कच्चे तेल की उत्पादन सीमा को बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। ऐसा करने से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल के दाम में गिरावट आएगी और देश में भी तेल सस्ता हो जाएगा।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

बता दें ओपेक और अन्य तेल निर्यातक देशों (ओपेक प्लस) ने कोरोना महामारी के समय अपने कुल उत्पादन में भारी कटौती की थी। जिसके बाद अब नए फैसलो से कोरोना के दौरान की गई कटौती को तेजी से बहाल करने में मदद मिलेगी। मौजूदा समय में ओपेक प्रति दिन 4.32 हजार बैरल कच्चे तेल का उत्पादन कर रहा है। हालांकि अब ओपेक प्लस द्वारा इस सीमा को जुलाई से बढ़ाकर 6.48 हजार बैरल प्रतिदिन करने का फैसला लिया गया है।

मौजूदा समय में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण अमेरिका में पेट्रोल का दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। ऐसे समय में ओपेक द्वारा ये फैसला किया गया है। अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत में इस साल की शुरुआत से अब तक 54 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

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आम जनता को ऐसे मिलेगी राहत

एक रिपोर्ट के अनुसार तेल निर्यातक देशों के ताजा फैसले से विश्व में कच्चे तेल की आपूर्ति पहले की तुलना में काफी बढ़ेगी और इस कारण इसकी कीमतें भी वैश्विक बाजार में कम हो जाएगी। भारत अपनी कुल जरूरत का 85 फीसदी कच्‍चा तेल आयात करता है, ऐसे में यदि कच्चा तेल सस्ता होगा तो निश्चित तौर पर भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम गिरेंगे। जिससे भारत की आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी।

महामारी के समय सस्ता कच्चा तेल बेचकर काफी घाटा हुआ

सूत्रों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत ने तेल पर लगभग 119.2 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किया था। शुरूआत में तेल उत्‍पादक देश ज्‍यादा मुनाफा कमाने के लिए अपनी आपूर्ति नहीं बढ़ाने के जिद पर अड़े हुए थे। उनकी दलील थी कि महामारी के समय सस्ता कच्चा तेल बेचकर उन्‍हें काफी घाटा हुआ है, जिसकी भरपाई होने तक उत्‍पादन में इजाफा नहीं किया जा सकता है। हालांकि बाद में इस पर उन्हें सहमत होना पडा।

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ओपेक में शामिल हैं ये देश

जानकारी के लिए बता दें कि यह ओपेक के सदस्य देशों और 10 प्रमुख गैर-ओपेक तेल निर्यातक देशों (अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मलेशिया, मैक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान) का गठबंधन हैं। ओपेक के कुल 14 देश (ईरान, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अल्जीरिया, लीबिया, नाइजीरिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी, कांगो गणराज्य, अंगोला, इक्वाडोर और वेनेजुएला) सदस्य हैं। ओपेक प्लस का मकसद दुनियाभर में तेल की आपूर्ति और उसकी कीमतें निर्धारित करना है। हर महीने विएना में ओपेक प्लस देशों की बैठक होती है। इसी बैठक में यह तय होता है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कितने कच्चे तेल की आपूर्ति करनी है।

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