अपने ही देश में शरणार्थी बने इन 40 हजार हिंदूओं का एक अक्टूबर से बंद हो जाएगा राशन, जानिए क्या है पूरा मामला

अपने ही देश में शरणार्थी बने इन 40 हजार हिंदूओं का एक अक्टूबर से बंद हो जाएगा राशन, जानिए क्या है पूरा मामला

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  • Publish Date - August 29, 2019 / 05:48 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:06 PM IST

नईदिल्ली। ​बीते दो दशक से अपने ही घर में शरणार्थी का जीवन व्यतीत करने वाले लगभग 40 हजार हिंदू शरणार्थियों के लिए फिर से संकट की घड़ी आने वाली है। 22 साल पहले मिजोरम से आतंक के चलते यह लोग जान बचाकर अपने घर और खेतीबाड़ी छोड़कर त्रिपुरा की मुख्य आबादी से करीब 50 किमी दूर शरण लेने को मजबूर हुए थे। यह 40 हजार लोग 7 कैम्पों में त्रिपुरा की पहाड़ियों पर रह रहे हैं।

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बता दें कि सरकार सभी शरणार्थियों को फिर से मिजोरम में बसाना चाहती है। यही वजह है कि सरकार ने शरणार्थी कैम्प में रह रहे सभी 40 हजार शरणार्थियों को अल्टीमेटम दिया है कि वह एक अक्टूबर तक वापस मिजोरम चले जाएं। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनको हर रोज दिया जाने वाला राशन बंद कर दिया जाएगा। यह हिन्दू कोई और नहीं मिजोरम की ब्रू जनजाति के लोग हैं। जिनकी पहचान वैष्णव हिन्दू के रूप में होती है।

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 अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर ये लोग हर रोज 600 ग्राम चावल और 5 रुपये रोज पर गुजारा कर रहे हैं। सफाई से रहने के लिए साल में तीन साबुन मिलते हैं। तीन साल पहले तक तो एक ही मिलता था। चप्पल आज भी पूरे साल में एक ही मिलती है। छोटे बच्चों को 300 ग्राम चावल और 2.5 रुपये रोज मिलते हैं पेट भरने के लिए। लेकिन अफसोस की बात यह है कि एक अक्टूबर से यह सब भी बंद हो जाएगा।

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दस्तावेजों की बात करें तो इन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है। राशन कार्ड है तो वो भी अस्थाई है। स्थायी सिर्फ वोटर कार्ड है। केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान करीब 7 से 8 हजार लोगों को वापस मिजोरम भेजने की कोशिश की गई थी। यह लोग जब मिजोरम पहुंचे तो एक बार फिर से इन्हें परेशान किया गया और वहां रहने नहीं दिया गया। जिसके चलते यह लोग फिर से त्रिपुरा वापस आ गए। यहां पर 7वां कैम्प ऐसे ही लोगों का है।

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जानकारों की माने तो एक बार त्रिपुरा और मिजोरम सरकार के साथ केन्द्र सरकार ने बातचीत कर समस्या का हल निकालने की कोशिश की थी। केन्द्र सरकार ने वादा किया था कि शरणार्थी अगर वापस जाएंगे तो उन्हें वहां घर बनाने के लिए रुपये दिए जाएंगे। अभी तक ऐसा नही हुआ। वहीं 40 हजार शरणार्थियों की मांग है कि प्रति परिवार 5 एकड़ ज़मीन खेती के लिए, सुरक्षा के लिहाज से 500-500 परिवारों के गांव बसाए जाएं और ज़िला परिषद बनाई जाए।

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इन शरणार्थियों के हित में काम करने वाली एक संस्था का कहना है कि एक सितंबर से एक रैली निकाली जाएगी। इसके माध्यम से राष्ट्रपति, पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, चीफ जस्टिस और त्रिपुरा-मिजोरम के राज्यपाल से मुलाकात की जाएगी और इन शरणार्थियों के लिए मांग रखी जाएगी।

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