Ratan Tata Success Story: सुई से लेकर हवाई जहाज तक बनाने वाले ‘TATA’ कैसे बने देश के रतन? जानिए उनके सादगी भरे जीवन की दिलचस्प कहानी

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  • Publish Date - October 10, 2024 / 08:16 AM IST,
    Updated On - October 10, 2024 / 08:18 AM IST

नई दिल्लीः Ratan Tata Success Story  भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने वाले दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन गया। 86 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। रतन टाटा के यूं चले जाने से पूरे देश में गम का माहौल है। उनके चाहने वालों को आज वे बहुत याद आ रहे हैं। देशवासियों के दिलों में राज करने वाले रतन टाटा को पूरा देश श्रद्धांजलि दे रहे हैं। करीब 3800 करोड़ रुपये की नेटवर्थ के मालिक रतन टाटा से जुड़ी कई दिलचस्प कहानी है। चलिए जानते हैं कि सुई से हवाई जहाज बनाने वाले ‘TATA’ कंपनी के पूर्व चेयरमैन की सफलता ही पूरी कहानी…

Ratan Tata Success Story  रतन टाटा का जन्म ब्रिटिश राज के दौरान बॉम्बे (अब मुंबई) में 28 दिसंबर 1937 को एक पारसी परिवार में हुआ था। वे नवल टाटा के पुत्र थे , जो सूरत में पैदा हुए थे। उनके माता-पिता का नाम नवल टाटा और सूनी कमिसारीट था। जब रतन टाटा 10 साल के थे, तब वे अपने माता पिता से अलग हो गए थे। उसके बाद उन्हें जेएन पेटिट पारसी अनाथालय के माध्यम से उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने औपचारिक रूप से गोद ले लिया था। रतन टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे) के साथ हुआ।

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इन संस्थानों से की पढ़ाई

रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से की। यहां से उन्होंने 8वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, आगे की पढ़ाई के लिए वे मुंबई में कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल और शिमला में बिशप कॉटन स्कूल गए। इसके बाद रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क शहर में शिक्षा प्राप्त की है। वे कॉर्नेल विश्वविद्यालय और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र हैं। देश की जानी मानी हस्ती रतन टाटा को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से भी सम्मानित किए जा चुका है।

टाटा समूह के बिजनेस को बढ़ाने में दिया अपना बड़ा योगदान

रतन ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ने टाटा समूह के बिजनेस को संभाल लिया। रतन टाटा ने 1990 से लेकर 2012 तक टाटा समूह के बिजनेस को बढ़ाने में अपना पूरा योगदान दिया है। उन्होंने, 2004 में टीसीएस को लॉन्च किया। रतन टाटा नेतृत्व में, ब्रिटिश ऑटोमोटिव कंपनी जगुआर, लैंड रोवर, एंग्लो-डच स्टील निर्माता कोरस और ब्रिटिश चाय फर्म Tetley के ऐतिहासिक विलय के बाद टाटा ग्रूप को पूरी दुनिया में पहचान मिली। टाटा समूह के अंदर 100 से ज्यादा कंपनियां है जिसमें सुई से लेकर 5 स्टार होटल, चाय, स्टील और नैनो कार से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मिलता है। 2009 में रतन टाटा ने सबसे सस्ती कार बनाने का वादा किया, जिसे भारत का मिडिल क्लास फैमिली खरीद सके। उन्होंने अपना वादा पूरा किया और 1 लाख रुपये में टाटा नैनो लॉन्च की, जिसकी पूरी दुनिया में खूब चर्चा हुई।

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रतन टाटा ने कभी नहीं की शादी

टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने पूरी जिंदगी किसी से शादी नहीं की। ऐसा नहीं है कि उन्हें कभी किसी से प्यार नहीं हुआ। एक इंटरव्यू के दौरान खुद रतन टाटा ने अपनी लव लाइफ के बारे में विस्तार से बताया था। उन्होंने कहा था कि उनकी जिंदगी में प्यार ने एक नहीं बल्कि चार बार दस्तक दी थी, लेकिन मुश्किल दौर के आगे उनके रिश्ते शादी के मुकाम तक पहुंच नहीं सके। इसके बाद फिर कभी उन्होंने शादी के बारे में नहीं सोचा और पूरा फोकस भारत में Tata Group के कारोबार को आगे बढ़ाने पर किया। रतन टाटा ने कहा था कि मैं चार बार शादी करने के करीब पहुंचा, लेकिन हर बार डर के कारण या किसी न किसी कारण से मैं पीछे हट गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉस एंजिल्स में काम करते समय उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था और उन्हें भारत लौटना पड़ा क्योंकि उनके परिवार का कोई सदस्य बीमार था। लड़की के माता-पिता ने उसे भारत जाने की अनुमति नहीं दी।

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जमशेदजी टाटा की परंपरा को अभी तक रखा है जारी

वहीं, बॉम्बे हाउस में बारिश के मौसम में आवारा कुत्तों को अंदर आने देने का इतिहास जमशेदजी टाटा के समय से है। रतन टाटा ने इस परंपरा को जारी रखा। उनके बॉम्बे हाउस मुख्यालय में हाल के नवीनीकरण के बाद आवारा कुत्तों के लिए एक कुत्ताघर है। यह केनेल भोजन, पानी, खिलौने और एक खेल क्षेत्र से सुसज्जित है।

रतन टाटा के सबसे बड़े शौक

रतन टाटा बेहद सदा जीवन जीते थे, लेकिन उन्हें कई चीजों का शौक भी था। इनमें कार से लेकर पियानो बजाना तक शामिल है। इसके साथ ही विमान उड़ाना भी उनकी फेवरेट लिस्ट में सबसे ऊपर था। Tata Sons से अपने रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने कहा था कि अब मैं अपना बाकी जीवन अपने शौक पूरे करना चाहता हूं। अब मैं पियानो बजाऊंगा और विमान उड़ाने के अपने शौक को पूरा करूंगा।

अपनी परोपकारिता के लिए विदेशों में मशहूर हैं रतन टाटा

रतन टाटा अपनी परोपकारिता के लिए भी जाने जाते हैं। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने भारत के स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय में 28 मिलियन डॉलर का टाटा छात्रवृत्ति कोष स्थापित किया। 2010 में, टाटा समूह ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) में एक कार्यकारी केंद्र बनाने के लिए 50 मिलियन डॉलर का दान दिया, जहां उन्होंने स्नातक प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसे टाटा हॉल नाम दिया गया। 2014 में, टाटा समूह ने आईआईटी-बॉम्बे को 95 करोड़ रुपये का दान दिया और सीमित संसाधनों वाले लोगों और समुदायों की आवश्यकताओं के अनुकूल डिजाइन और इंजीनियरिंग सिद्धांतों को विकसित करने के लिए Tata Center for Technology and Design (टीसीटीडी) का गठन किया।

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रतन टाटा से जुड़ीं कुछ खास बातें..

  • रतन टाटा के लिए काम का मतलब पूजा करना था। उनका कहना था कि काम तभी बेहतर होगा, जब आप उसकी इज्जत करेंगे।
  • टाटा चेयरमैन की सबसे बड़ी खासियत उनका हमेशा शांत और सौम्य रहना था। वे अपने साथ कंपनी के छोटे से छोटे कर्मचारी से भी प्यार से मिलते थे, उनकी जरूरतों को समझते थे और उनकी हर संभव मदद करते थे।
  • दिग्गज अरबपति रतन टाटा कहते थे कि आपको किसी काम में सफलता पाना है, तो उस काम की शुरुआत भले ही आप अकेले करें, लेकिन उसे बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए लोगों का साथ जरूरी है। साथ मिलकर ही दूर तक चल सकते हैं।
  • रतन टाटा को जानवरों खासतौर पर स्ट्रे डॉग्स से खासा लगाव था। वे कई गैर सरकारी संगठनों और Animal Shelters को दान भी करते रहते थे।
  • रतन टाटा आर्थिक तंगी से जूझने वाले छात्रों की भी मदद के लिए आगे रहते थे। उनका ट्रस्ट ऐसे छात्रों को स्कॉलरशिप देता है। ऐसे छात्रों को J.N.Tata Endowment, Sir Ratan Tata Scholarship और Tata Scholarship के जरिए मदद दी जाती है।

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