नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) टाटा समूह के मानद चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने शापूरजी पालोनजी समूह के साइरस मिस्त्री के साथ लगभग चार साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद वह उन्हें नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक के कारोबार में सक्रिय (टाटा) समूह के कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाने में कामयाब रहे थे।
पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा का मुंबई के एक अस्पताल में बुधवार रात निधन हो गया था। वह 86 साल के थे।
वहीं, उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी और टाटा समूह के पूर्व कार्यकारी चेयरमैन मिस्त्री की चार सितंबर 2022 को महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक कार हादसे में मौत हो गई थी।
मिस्त्री ने वर्ष 2012 में टाटा सन्स प्राइवेट लिमिटेड (टीएसपीएल) के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा की जगह ली थी। हालांकि, लगभग चार साल बाद उन्हें नाटकीय तरीके से इस पद से हटा दिया गया था, जिससे देश के सबसे बड़े व्यापारिक समूह में बेहद कड़ी कानूनी लड़ाई छिड़ गई, जो उच्चतम न्यायालय तक पहुंची। इस दौरान, देश के शीर्ष वकील अदालतों में दोनों पक्षों की पैरवी करते दिखे।
टाटा समूह पर नियंत्रण की लड़ाई शुरू में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में लड़ी गई। इसके बाद यह राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) पहुंची और अंततः दोनों पक्षों का झगड़ा शीर्ष अदालत के समक्ष आया।
शीर्ष अदालत ने 26 मार्च 2021 के अपने आदेश में मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद से हटाने के फैसले को बरकरार रखा, जिसके साथ ही इस कड़वी कानूनी लड़ाई का अंत हो गया।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने मिस्त्री को टाटा समूह के शीर्ष पद पर बहाल करने के एनसीएलएटी के फैसले को खारिज कर दिया था। पीठ ने टीएसपीएल में स्वामित्व हितों को अलग करने के अनुरोध वाली शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह की याचिका भी खारिज कर दी थी।
भाषा
पारुल अविनाश
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