Surya Rashi Parivartan 2022: 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। ये राशि शनि देव की मानी जाती है और शनि देव वर्तमान में इसी राशि में गोचर कर रहे हैं। जानिए सूर्य के राशि परिवर्तन से किन राशि वालों को जबरदस्त फायदा मिलने के आसार हैं।
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मकर राशि: इस अवधि में आपको करियर में अचानक ही प्रसिद्धि मिल सकती है। यदि आप सरकारी नौकरी करते हैं तो ये अवधि आपके लिए अनुकूल रहने की संभावना है। करियर के क्षेत्र में आप नई ऊंचाइयों को छूने में सफल रहेंगे। जिस दिशा में मेहनत करेंगे उसमें सफलता मिलने के प्रबल आसार रहेंगे। नौकरी बदलने के लिए समय अच्छा है। पिछले समय में किए गए प्रयासों का आपको इस दौरान अच्छा फल प्राप्त होगा।
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धनु राशि: सूर्य का गोचर आपके लिए काफी सकारात्मक दिखाई दे रहा है। आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ये अवधि आपके लिए बेहद शुभ रहने वाली है। इस दौरान आप धन का संचय कर पाने में सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होने की प्रबल संभावना है। आपको इस अवधि में अन्य माध्यमों से भी धन प्राप्त करने के कई मौके मिलेंगे। कार्यस्थल में आपकी इमेज सुधरेगी।
आप नई ऊंचाइयों को भी प्राप्त करने में सफल रह सकते हैं। आपके वरिष्ठ आपके कार्य की जमकर तारीफ करते नजर आ सकते हैं जिसकी वजह से आपका प्रमोशन हो सकता है। संभावना है कि आप इस दौरान उन सभी परियोजनाओं को पूरा करने में सफल रहेंगे जिस पर आप लंबे समय से कार्य कर रहे हैं। कार्यस्थल पर आपको कामयाबी हासिल होगी।
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मीन राशि: इस राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं। सूर्य का मकर राशि में गोचर आपके लिए काफी शुभ साबित होगा। यह अवधि आपके लिए अनुकूल रहने की संभावना है। इस दौरान आपकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी और समाज में आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी। इस अवधि में आपको अप्रत्याशित लाभ होने की भी प्रबल संभावना है।
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मकर संक्रांति के दिन सूर्य के गोचर से जहां खरमास खत्म हो जाएगा, वहीं वसंत ऋतु के आगमन का भी संकेत मिलता है। मकर संक्रांति का अद्भुत जुड़ाव महाभारत काल से भी है। 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहने के बाद भीष्म पितामह ने अपने प्राणों का त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था।
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भगवान श्रीकृष्ण ने बताया महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ। अरविंद मिश्र ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए कहा है कि 6 माह के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और धरती प्रकाशमयी होती है, उस समय शरीर त्यागने वाले व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है। ऐसे लोग सीधे ब्रह्म को प्राप्त होते हैं, यानी उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि भीष्म पितामह ने शरीर त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने तक का इंतजार किया।
ये है कथा
18 दिन तक चले महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने 10 दिन तक कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा। रणभूमि में पितामह के युद्ध कौशल से पांडव व्याकुल थे। बाद में पांडवों ने शिखंडी की मदद से भीष्म को धनुष छोड़ने पर मजबूर किया और फिर अर्जुन ने एक के बाद एक कई बाण मारकर उन्हें धरती पर गिरा दिया। चूंकि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। इसलिए अर्जुन के बाणों से बुरी तरह चोट खाने के बावजूद वे जीवित रहे। भीष्म पितामह ने ये प्रण ले रखा था कि जब तक हस्तिनापुर सभी ओर से सुरक्षित नहीं हो जाता, वे प्राण नहीं देंगे। साथ ही पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तारायण होने का भी इंतेजार किया, क्योंकि इस दिन प्राण त्यागने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।