Ram Rahim : डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख और रेप के दोषी गुरमीत राम रहीम को पैरोल देने पर हंगामा मचा हुआ है। आम लोगों समेत विपक्षी पार्टियां भी रेप के दोषी बाबा की पैरोल का जमकर विरोध कर रही हैं। मामले में रोहतक के डिवीजनल कमिश्नर का लेटर सामने आया है, जिसके आधार पर राम रहीम की पैरोल का फरमान जारी किया गया था। आइए देखते हैं इस लेटर में क्या लिखा है।
कैदी नंबर- 8647/C बाबा गुरमीत सिंह उर्फ महाराज गुरमीत सिंह उर्फ गुरमीत राम रहीम सिंह पुत्र स्व. मगहर सिंह निवासी डेरा सच्चा सौदा, सिरसा, हरियाणा, जो सीबीआई के विशेष जज जगदीप सिंह की कोर्ट द्वारा 28-08-2017 को जारी वारंट के आधार पर रोहतक की जिला जेल में बंद है। उसने हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (अस्थायी रिहाई) अधिनियम, 2022 Haryana Good Conduct Prisoners (Temporary Release) Act, 2022 की धारा 3 के तहत अस्थायी रिहाई के लिए पैरोल का आवेदन किया था। उस आवेदन पर रोहतक जेल के अधिकारियों और बागपत (यूपी) के जिलाधिकारी और एसपी की रिपोर्ट में पाया गया कि आवेदक धारा 3 के तहत अस्थाई रूप से पैरोल पर रिहाई का पात्र है।
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– कैदी अपनी अस्थाई रिहाई के दौरान सतनाम जी आश्रम डेरा सच्चा सौदा, बरनावा, जिला बागपत (यूपी) में रहेगा। इस अवधि के दौरान वह बिना जिलाधिकारी बागपत की इजाजत के कहीं नहीं जा सकेगा।
– पैरोल (अस्थाई रिहाई) के दौरान कैदी को उस स्थान की सारी जानकारी जिलाधिकारी बागपत को देनी होगी, जहां वह निवास करेगा और इस अवधि के दौरान वह उसके स्थान या कार्यक्रम में होने वाले हर बदलाव की जानकारी वहां के जिलाधिकारी को उपलब्ध कराएगा।
– अस्थाई रिहाई की अवधि के दौरान कैदी पूरी तरह से शांत रहेगा और अपना अच्छा बर्ताव बनाए रखेगा।
– नियमित पैरोल की 40 दिवसीय अवधि खत्म हो जाने के बाद कैदी खुद उस जेल के अधीक्षक के समक्ष जाकर सरेंडर करेगा, जहां से उसे अस्थाई रिहाई दी गई थी।
– नियमित पैरोल पर अपनी रिहाई से पहले कैदी संबंधित डीएम की संतुष्टि के लिए एक व्यक्तिगत बॉन्ड भरेगा और रिलीज वारंट में निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करते हुए हर सिक्योरिटी के लिए 3 लाख रुपये की राशि में दो जमानतदार पेश करेगा।
– जब जमानतदार दिवालिया हो जाए या उसकी मृत्यु हो जाए तो राज्य सरकार कैदी को तुरंत नया मुचलका जमा करने का आदेश दे सकती है और अगर ऐसी जमानत नहीं दी जाती है तो राज्य सरकार इस तरह से कार्यवाही कर सकती है, जैसे कि इन शर्तों का पालन न किया गया हो।
– इस अधिनियम की धारा 9 और 10 की उप-धारा (2) और (3) के तहत कार्रवाई के अलावा, बॉन्ड की किसी भी शर्त को पूरा नहीं करने पर राज्य सरकार को जमा की गई बॉन्ड की राशि जब्त कर ली जाएगी।
– पत्र संख्या के माध्यम से 557/जेए-पैरोल/2022 दिनांक 11।10।2022, जिसकी एक प्रति संलग्न है। जिसके मुताबिक, जिलाधिकारी, बागपत (यूपी) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में उल्लिखित शर्तों के संबंध में कैदी पुलिस और स्थानीय प्रशासन का सहयोग करेगा।
– पुलिस अधीक्षक बागपत अस्थायी रिहाई के दौरान उक्त कैदी की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेंगे। रिलीज वारंट जारी होने की तारीख से चार महीने के लिए वैध है।
– 13 अक्टूबर, 2022 को रिहाई का ये फरमान डिवीजनल कमिश्नर की तरफ से जारी किया गया है। इस रिलीज वारंट की कॉपी हरियाणा के एसीएस (होम/जेल), जिलाधिकारी रोहतक, जिलाधिकारी बागपत (यूपी), पुलिस अधीक्षक रोहतक, पुलिस अधीक्षक बागपत (यूपी) और जेल अधीक्षक, जिला जेल रोहतक को भी भेजी गई है।
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