रमेश ने आरटीआई कानून पर असर डालने वाली डेटा संरक्षण अधिनियम की धारा को निरस्त करने का आग्रह किया

रमेश ने आरटीआई कानून पर असर डालने वाली डेटा संरक्षण अधिनियम की धारा को निरस्त करने का आग्रह किया

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  • Publish Date - March 23, 2025 / 09:41 PM IST,
    Updated On - March 23, 2025 / 09:41 PM IST

नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव से डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 की एक धारा को निरस्त करने का आग्रह किया। उन्होंने दावा किया कि यह धारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 को ‘खत्म’ करती है।

वैष्णव को लिखे पत्र में रमेश ने कहा कि डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 की धारा 44 (3) आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8 की उप-धारा (1) में खंड जे (व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित सूचना) को बदलने का प्रयास करती है।

उन्होंने कहा कि इस बदलाव के कारण उप-धारा की सभी चीजें समाप्त हो जाएंगी, इसमें वह शर्त भी शामिल है, जिसमें कहा गया था कि ‘‘जो सूचना संसद या राज्य विधानमंडल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता है, उसे किसी भी व्यक्ति को देने से इनकार नहीं किया जाएगा।’’

रमेश ने कहा, ‘‘आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(जे) की उस शर्त को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि नागरिकों को सूचना का उतना ही अधिकार है, जितना कि उनका प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों-विधायकों को।’’

उन्होंने अपने पत्र में कहा कि आरटीआई अधिनियम, 2005 की मौजूदा धारा 8(1)(जे) में निजता के अनुचित उल्लंघन से सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय हैं।

रमेश ने वैष्णव को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘‘पारदर्शिता और जवाबदेही के हित में, मैं आपसे डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 की धारा 44 (3) को रोकने, समीक्षा करने और निरस्त करने का आग्रह करूंगा, जो आरटीआई अधिनियम, 2005 को खत्म कर देता है।’’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप