नई दिल्ली: RamBhadracharya Maharaj On Mohan Bhagwat देश में मंदिर मस्जिद का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ उत्तर प्रदेश कें संभल में शाही ईदगाह के स्थान पर मंदिर होने का दावा गर्माया हुआ है। तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान के अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में भी संकट मोचन मंदिर होने का दावा किया गया है। इन सब विवादों के बीच आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने का बयान समाने आया था। जिसके बाद अब उनके बयान पर देश के साधु संतों की प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गए हैं। इसी बीच प्रसिद्ध संत रामभद्राचार्य का पहली प्रक्रिया सामने आई है। उन्होंने उनके दिए हुए भाषण पर असहमति जताई है।
संत रामभद्राचार्य ने कहा मोहन भागवत ने कहा था कि कुछ लोग हिंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, इस पर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं मोहन भागवत जी के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत हमारे अनुशासक रहे हैं हम उनके अनुशासक है। लेकिन उनका विचार इस मामले में उनके साथ नहीं मिलता।
RamBhadracharya Maharaj On Mohan Bhagwat मोहन भागवत ने कहा था कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है। भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था। उन्होंने कहा कि हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है। इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता। भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं।
Mumbai, Maharashtra: On RSS chief Mohan Bhagwat statement, Jagadguru Rambhadracharya says, “I completely disagree with the speech of Mohan Bhagwat. I do not agree at all…” pic.twitter.com/m9twO5bbip
— IANS (@ians_india) December 22, 2024
मोहन भागवत ने कहा था कि भारत को यह दिखाने की आवश्यकता है कि सभी धर्मों के लोग सद्भावना और शांति से एक साथ रह सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर का निर्माण हिंदू आस्था का विषय था और इसके आसपास जो विवाद उठ रहे हैं, उन्हें खत्म किया जाना चाहिए।
संत रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत के बयान पर असहमति जताई और कहा कि वह उनके विचार से सहमत नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि मोहन भागवत उनके अनुशासक रहे हैं, लेकिन इस मामले में उनके विचार अलग हैं।
मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर का निर्माण हिंदू आस्था का मामला था और यह विवाद अब और नहीं बढ़ना चाहिए। उनका मानना था कि इस मुद्दे पर आगे कोई नया विवाद नहीं उठना चाहिए।
इस समय, संत रामभद्राचार्य ने केवल मोहन भागवत के बयान पर असहमति जताई है, जो धार्मिक विवादों और हिंदू नेताओं के बारे में था। उन्होंने कहा कि इस मामले में उनके विचार अलग हैं, लेकिन अन्य मुद्दों पर उन्होंने मोहन भागवत से असहमति नहीं जताई।
संत रामभद्राचार्य का मानना है कि धार्मिक विवादों का समाधान शांति और समझ से होना चाहिए, और हर धर्म और आस्था के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए।