तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक को राज्यसभा ने दी मंजूरी

तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक को राज्यसभा ने दी मंजूरी

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  • Publish Date - December 3, 2024 / 05:23 PM IST,
    Updated On - December 3, 2024 / 05:23 PM IST

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) तेल और गैस की खोज और उत्पादन को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून में संशोधन और इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोलियम संचालन को खनन कार्यों से अलग करने के प्रावधान वाले तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 को मंगलवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई।

इस साल अगस्त में राज्यसभा में पेश किए गए तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र में उच्च निवेश और लंबी अवधि की आवश्यकता होती है।

पुरी ने कहा, ‘‘हमें तेल और गैस क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता के लिए 20 और साल चाहिए। हमें न केवल अपने स्वयं के ऑपरेटर बल्कि विदेशी निवेशकों को भी विश्वास दिलाने के लिए इस कानून की जरूरत है ताकि वे सभी को लाभ पहुंचाने के लिए यहां आ सकें और व्यापार कर सकें।’’

उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक में नीति स्थिरता, विवाद समाधान और बुनियादी ढांचे को साझा करना, विशेष रूप से छोटी इकाइयों के लिए नए प्रावधान हैं।

उन्होंने सदस्यों द्वारा उठाए गए हीलियम के मुद्दे को भी स्पष्ट करते हुए कहा कि खनिज तेल प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन हैं और इस प्रकार हीलियम हाइड्रोकार्बन नहीं है।

कई विपक्षी सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि विधेयक को आगे की जांच के लिए स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए।

पुरी ने आगे कहा ‘‘हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि निवेशकों को 2006 से 2014 के बीच की सुस्त अवधि के विपरीत यहां आने के लिए अधिक विश्वास हो। एक पट्टा, एक लाइसेंस होगा। यदि कोई विवाद है तो विवाद प्रबंधन के लिए पूर्वानुमान और स्थिरता होगी।’’

उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य ‘‘तेल और गैस उत्पादकों के लिए नीति स्थिरता सुनिश्चित करना और जीवाश्म ईंधन उत्पादन के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और पट्टे की अवधि बढ़ाना है। ’’

मंत्री ने कहा कि विधेयक का मकसद ‘‘दंड, न्यायाधिकरण द्वारा न्याय निर्णय और न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ अपील’’ शुरू करके 1948 के मूल कानून के कुछ प्रावधानों को अपराधमुक्त करना है।

उनके जवाब के बाद विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई।

विधेयक में ‘पेट्रोलियम लीज’ शुरू करने का प्रस्ताव है और इसमें खनिज तेलों की परिभाषा का विस्तार करके कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, कंडेनसेट, कोल बेड मीथेन, ऑयल शेल, शेल गैस, शेल ऑयल, टाइट गैस, टाइट ऑयल और गैस हाइड्रेट को शामिल किया गया है।

इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ाना और आयात पर निर्भरता कम करना है। भारत अपनी कच्चे तेल की 85 प्रतिशत से अधिक जरूरतें और प्राकृतिक गैस की लगभग आधी जरूरतें आयात से पूरी करता है।

भाषा

मनीषा अविनाश

अविनाश