राजस्थान: कोचिंग संस्थान में पढ़ रहे छात्रों को सांस लेने में तकलीफ होने पर अस्पताल पहुंचाया गया

राजस्थान: कोचिंग संस्थान में पढ़ रहे छात्रों को सांस लेने में तकलीफ होने पर अस्पताल पहुंचाया गया

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  • Publish Date - December 16, 2024 / 12:04 AM IST,
    Updated On - December 16, 2024 / 12:04 AM IST

जयपुर, 15 दिसंबर (भाषा) जयपुर के महेश नगर इलाके में स्थित एक कोचिंग संस्थान में पढ़ रहे विद्यार्थियों को रविवार को अचानक सांस लेने में तकलीफ व तेज सिर दर्द की शिकायत होने पर निकटवर्ती अस्पताल ले जाया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार ऐसा संभवत: गटर की गैस या संस्थान में ऊपर छत पर बने किचन के धुंए के कारण हुआ।

घटनास्थल पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गटर से बदबू आने और भवन की छत पर बनी रसोई में तड़का लगाने के कारण धुआं नीचे तक आ गया, जिसकी वजह से कोचिंग संस्थान में पढ़ रहे बच्चे बेहोश हो गए।

उन्होंने बताया कि बेहोश होने वालों में आठ लड़कियां व दो लड़के और एक खानसामा भी शामिल है।

अधिकारियों ने ‘भोजन विषाक्तता’ की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि पीड़ित विद्यार्थियों की हालत अब ‘सामान्य’ है।

इलाके में स्थित एक निजी अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि सांस लेने में दिक्कत के कारण यहां सात बच्चों को दाखिल करवाया गया था हालांकि दो बच्चों को अन्यत्र ले जाया गया।

उन्होंने बताया कि सभी बच्चों को सांस लेने में समस्या थी और उन्हें लगातार खांसी हो रही थी लेकिन उन्हें कोई अन्य समस्या नहीं थी।

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “जयपुर के एक कोचिंग संस्थान में गैस रिसाव की वजह से छात्र-छात्राओं के बेहोश होने की घटना बेहद चिंताजनक है। यह घटना न केवल छात्रों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरनाक है बल्कि यह हमारे शिक्षा प्रणाली की कमियों को भी उजागर करती है।”

जूली ने लिखा, “ सरकार को तत्काल प्रभाव से छात्र-छात्राओं को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए और इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”

उन्होंने सरकार से सभी शिक्षा संस्थानों में सुरक्षा मानकों का पालन किये जाने को सुनिश्चित करने और छात्रों के स्वास्थ्य व सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की।

इस संबंध में संस्थान तथा प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है।

भाषा पृथ्वी जितेंद्र

जितेंद्र