सीएसटी खानपान स्टॉल विवाद पर रेलवे को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत: उच्चतम न्यायालय

सीएसटी खानपान स्टॉल विवाद पर रेलवे को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत: उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - January 29, 2025 / 10:27 PM IST,
    Updated On - January 29, 2025 / 10:27 PM IST

नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने हाल में कहा कि रेलवे को मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) पर खानपान के स्टाल के प्रबंधन में ‘खामियों’ के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।

भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की ओर से प्रशासनिक चूक का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि इस मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की रिपोर्ट से पता चलता है कि इसके संभागीय अधिकारियों की तरफ से ‘गंभीर लापरवाही’ हुई है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि रेलवे प्रशासन सीवीसी रिपोर्ट का परीक्षण करे और एक महीने के अंदर कार्रवाई के लिए इसे सक्षम प्राधिकारियों के समक्ष रखे और तीन महीने में सुधारात्मक कदम उठाए।

उच्चतम न्यायालय ने 21 जनवरी को कहा, ‘रेलवे की ओर से सीवीसी की रिपोर्ट को लागू किया जाना आवश्यक है।’

अदालत ने कहा कि सीवीसी ने आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की मंशा का संकेत नहीं दिया है, बल्कि अधिकारियों की ओर से लापरवाही का ही संकेत दिया है।

पीठ ने खामियों को दूर करने और आईआरसीटीसी की प्रशासनिक कार्यप्रणाली और सेवाओं में सुधार के लिए रेलवे द्वारा ‘तत्काल सुधारात्मक उपाय’ करने की जरूरत को रेखांकित किया।

पीठ बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी।

आरटीआई कार्यकर्ता अजय बी बोस ने आरोप लगाया था कि मध्य रेलवे के सात अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की और करोड़ों रुपये की हेराफेरी की, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

उन्होंने दावा किया कि स्टॉल की बिक्री कीमत कम आंकी गई, जितनी राशि प्राप्त हुई, उससे कम राशि रेलवे को जमा की गई, वस्तुओं के लिए अधिक कीमत वसूल की गई तथा बिना वैध लाइसेंस के उन्हें काम करने की अनुमति दी गई जो रेलवे खानपान नीति का उल्लंघन है।

विशेष न्यायाधीश ने सीबीआई को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था।

भाषा

नोमान अविनाश

अविनाश