नई दिल्ली। तीन नॉन टेक्निकल और पांच टेक्निकल रेलवे सेवाओं का विलय करके इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस बनाने को लेकर रेलवे अधिकारियों में नाराजगी दिख रही है। इसे लेकर प्रधानमंत्री, कैबिनेट सचिव, रेलवे मंत्री, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के प्रतिनिधियों को पत्र लिखा है।
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रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने इसे लेकर एक वीडियो कांफ्रेस के किया जिसमें ट्रैफिक, कर्मियों और अकाउंट सर्विस के अधिकारियों से विलय को लेकर बातचीत की। वहीं, पोस्टकार्ड के जरिए अधिकारियों ने विलय को एकतरफा निर्णय बताया जो नॉन-टेक्निकल रेलवे अधिकारियों द्वारा सिविल सेवाओं के माध्यम से शामिल किए गए उचित प्रतिनिधित्व के बिना लिया गया है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि यदि विलय किया जाएगा तो उन्हें अपनी सेवा बदलने का विकल्प दिया जाए।
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रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ‘सीआरबी सभी रेलवे अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस में कैसे दावा कर सकते हैं कि ट्रैफिक अधिकारी कुछ नहीं करते हैं। वे किसी संपत्ति का रखरखाव नहीं करते हैं। वे दुर्घटनाग्रस्त स्थानों पर नहीं जाते, न ही वे निरीक्षण करते हैं आदि। यह बहुत ही पक्षपातपूर्ण और विध्वंसकारी है।’
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बता दें कि मंत्री पीयूष गोयल ने आठ सेवाओं के विलय की घोषणा करते हुए, निर्णय को सर्वसम्मति कहा था। जिसे सात और आठ दिसंबर को आयोजित दो दिवसीय चर्चा के दौरान सभी अधिकारियों के अत्यधिक समर्थन के साथ परिर्वतन संगोष्ठी में विभागवाद को समाप्त करने के उपायों पर काम करने के लिए लिया गया। लेकिन अब रेलवे अधिकारियों में इसे लेकर असंतोष साफ दिख रहा है।
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