राहुल गांधी ‘हिंदु विरोधी पक्ष के नेता’ की तरह बात कर रहे हैं : हिमंत विश्व शर्मा

राहुल गांधी ‘हिंदु विरोधी पक्ष के नेता’ की तरह बात कर रहे हैं : हिमंत विश्व शर्मा

  •  
  • Publish Date - July 1, 2024 / 10:23 PM IST,
    Updated On - July 1, 2024 / 10:23 PM IST

गुवाहाटी, एक जुलाई (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से माफी की मांग करते हुए कहा कि लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल के सांसद का भाषण ‘हिंदू विरोधी पक्ष’ के नेता की तरह था न कि नेता प्रतिपक्ष की तरह।

वहीं, पिछले दो महीनों के दौरान ‘एक विशेष धर्म’ से संबंधित लोगों के एक वर्ग द्वारा की गई आपराधिक गतिविधियों पर उन्होंने गहरी चिंता जताई।

लोकसभा में सोमवार को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर अपने पहले भाषण में राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) पर हमला करते हुए कहा कि जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं, वे चौबीसों घंटे ‘‘हिंसा और नफरत’’ फैलाने में लिप्त हैं।

उनकी टिप्पणी का सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना गंभीर मामला है। हालांकि, गांधी ने पलटवार करते हुए कहा कि वह भाजपा के बारे में बोल रहे थे।

शर्मा ने सवाल किया कि कौन सी संस्था गांधी को सनातनियों के खिलाफ बयान देने के लिए इतना ‘साहस’ दे रही है।

शर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘नेता प्रतिपक्ष के तौर पर अपने पहले भाषण में राहुल गांधी ने हिंदुओं का विरोध किया है। वह विपक्ष के नेता नहीं, बल्कि हिंदू विरोधी पक्ष के नेता हैं।’’

उन्होंने कहा कि गांधी को हिंदू समुदाय से माफी मांगनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित हुए किसी धर्म का नाम लिए बिना कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि अपराध केवल एक विशेष धर्म के लोग ही करते हैं, लेकिन हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के बाद हुई घटनाएं चिंता का विषय हैं।’’

उन्होंने धुबरी, बारपेटा और मंगलदोई में हुई घटनाओं का हवाला दिया, जहां कथित तौर पर एक समुदाय के लोगों द्वारा स्थानीय लोगों को परेशान किया गया।

शर्मा ने कहा, ‘‘घटनाओं में राजनीतिक और आपराधिक पहलू दोनों हैं। पुलिस को अपराधों से सख्ती से निपटने के लिए कहा गया है।’’

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि चुनाव परिणामों में मामूली बदलाव से एक विशेष धर्म के एक वर्ग को अपराध में लिप्त होने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिसमें पिछले तीन वर्षों के दौरान काफी कमी आई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘अपराध जाति या धर्म के आधार पर नहीं किया जाता, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम असम के लोगों को राजनीतिक रूप से जागरूक करें कि वहां क्या बदलाव हो रहे हैं और यह उनके भविष्य के लिए कितना खतरनाक है।’’

शर्मा ने इससे पहले कहा था कि कांग्रेस द्वारा जीते गए अल्पसंख्यक बहुल निर्वाचन क्षेत्रों नगांव और धुबरी के लोकसभा परिणाम कमजोर सामाजिक ताने-बाने का संकेत देते हैं और अगर इसका कोई प्रतिरोध नहीं हुआ तो यह असमिया समाज के लिए खतरनाक साबित होगा।

भाषा धीरज प्रशांत

प्रशांत