रास : भाजपा ने बजट में रोजगार संबंधी तीन योजनाओं को सराहा, तृणमूल ने ‘जुमला’ बताया

रास : भाजपा ने बजट में रोजगार संबंधी तीन योजनाओं को सराहा, तृणमूल ने ‘जुमला’ बताया

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  • Publish Date - July 24, 2024 / 06:11 PM IST,
    Updated On - July 24, 2024 / 06:11 PM IST

नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) आम बजट 2024-25 को राज्यों की जरूरतों के अनुकूल बताते हुए भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए तीन महत्वपूर्ण योजनाएं सराहनीय है वहीं तृणमूल कांग्रेस ने इसे ‘जुमला’ तथा ‘गरीब विरोधी और राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण’ बजट करार दिया।

आम बजट 2024-25 और जम्मू कश्मीर के बजट पर राज्यसभा में एक साथ हो रही चर्चा में हिस्सा ले रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दीपक प्रकाश ने कहा कि यह बजट निश्चित रूप से यह बताता है कि आने वाली सदी भारत की होगी।

उन्होंने कहा कि कोरोना कालखंड के बाद दुनिया की अर्थव्यवस्था बद से बदतर है वहीं भारत ने अपनी स्थिति को अच्छी तरह से संभाला और अपने आगे के रास्ते बनाए।

उन्होंने बताया कि विश्व बैंक कह चुका है कि दक्षिण एशिया में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए भारत की अर्थव्यवस्था की सराहना की जानी चाहिए।

प्रकाश ने कहा कि सभी क्षेत्रों में कार्यबल में प्रवेश करने वालों को एक महीने का वेतन देना और पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार से जुड़े विनिर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहन देना सराहनीय पहल हैं।

उन्होंने कहा कि रोजगार के पहले चार वर्षों में ईपीएफओ अंशदान के संबंध में कर्मचारी और नियोक्ता को सीधे निर्दिष्ट पैमाने पर प्रोत्साहन देने से 30 लाख युवाओं और उनके नियोक्ताओं को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि ‘‘इसका मतलब है कि नौकरी पाने वाले को और नौकरी देने वाले को, दोनों को ही लाभ होगा।’’

तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने कहा कि देश आज हर ओर असमानता का सामना कर रहा है और यह बात इस बजट से साफ हो जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि पक्षपात के मामले में आज ब्रिटिश काल का औपनिवेशिक दौर भी पीछे छूट गया है।

उन्होंने कहा कि आज देश के 56 फीसदी लोग जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं, यह बहुत बड़ी विडंबना है। महंगाई आसमान छू रही है और पेट्रोल डीजल के दाम कम नहीं हो रहे हैं, फिर यह बजट गरीब हितैषी कैसे हुआ जब उसे इन समस्याओं से कोई राहत ही नहीं दी गई।

घोष ने कहा ‘‘बजट में केवल दो राज्यों बिहार और आंध्र प्रदेश को दिल खोल कर सब कुछ दिया गया। हम दोनों राज्यों को शुभकामनाएं देते हैं। लेकिन अन्य राज्यों का क्या हुआ? पश्चिम बंगाल तो आर्थिक नाकेबंदी का सामना कर रहा है। महाराष्ट्र, पंजाब, मणिपुर, तेलंगाना… ये राज्य और अन्य राज्य क्या केवल वंचित किए जाने के हकदार थे?’’

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल को तो उसकी 1.6 लाख करोड़ रुपये की बकाया केंद्रीय राशि भी नहीं दी जा रही है।

घोष ने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र, स्वास्थ्य क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र के बजट में कमी कर दी है। उन्होंने कहा कि किसानों की हितैषी होने का दावा करने वाली यह सरकार किसानों की आत्महत्या की ओर देखती ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि अमृतकाल मनाने वाली सरकार को बेरोजगार युवा और बढ़ती बेरोजगारी नजर नहीं आती।

उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी लेकिन उसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है।

भाषा

मनीषा माधव

माधव