नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने शुक्रवार को व्यवस्था दी कि विधायक सदन में दिल्ली सरकार के सेवा विभाग से संबंधित प्रश्न पूछ सकेंगे।
पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के दौरान विधायकों की एक आम शिकायत यह थी कि सेवा विभाग केंद्र से प्राप्त कुछ पत्रों का हवाला देकर उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने से इनकार कर देता था।
गुप्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘सेवाओं के मामले में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया है कि यह आरक्षित विषय नहीं है और विभाग से संबंधित प्रश्नों को स्वीकार किया जाएगा तथा उनका उत्तर दिया जाएगा।’’
दिल्ली सरकार में तैनात भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) सहित ग्रुप ‘ए’ अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति जैसे सेवा विभाग के मामलों का निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले तीन-सदस्यीय राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) द्वारा किया जाता है।
गुप्ता ने विधानसभा में व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 239एए के अनुसार, विभाग नहीं बल्कि विषय आरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि वे आरक्षित विषयों से संबंधित प्रश्नों को ‘मामला दर मामला’ आधार पर स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा कि गृह विभाग (जैसे आपराधिक कानून, अभियोजन और दिल्ली अग्निशमन सेवाएं आदि) और भूमि एवं भवन विभाग (जैसे अस्पतालों या विद्यालयों के लिए भूमि का आवंटन, आवास, कार्यालय आवास और आवास ऋण आदि) कई ऐसे कार्य करते हैं जो आरक्षित नहीं हैं।
गुप्ता ने कहा कि कार्यवाही नियमावली के अनुसार, प्रश्नों की स्वीकार्यता तय करने का अंतिम अधिकार अध्यक्ष का है। उन्होंने कहा कि नियम 48 के तहत, अध्यक्ष को प्रश्नों की स्वीकार्यता तय करने का अधिकार है।
भाषा धीरज सुरेश
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