नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बीच, भारत और ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के अन्य सदस्य देशों ने स्वतंत्र, खुला और शांतिपूर्ण क्षेत्र सुनिश्चित की दिशा में काम करने के लिए समूह की दृढ़ प्रतिबद्धता की मंगलवार को पुन: पुष्टि की।
समूह के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने ‘‘क्वाड सहयोग’’ की 20वीं वर्षगांठ पर एक संयुक्त बयान जारी कर यह प्रतिबद्धता दोहराई।
विदेश मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा अपनी शक्ति का प्रदर्शन किए जाने के बीच कहा कि ‘क्वाड’ इस क्षेत्र की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करेगा।
भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान 20 साल पहले 2004 में हिंद महासागर में आए भूकंप और सुनामी के बाद सहायता मुहैया कराने के लिए एक साथ आगे आए थे। इस समूह ने बाद में ‘क्वाड’ का रूप लिया।
क्वाड ने पिछले कुछ वर्षों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचे एंव संपर्क सुविधा के मामलों समेत कुछ सबसे बड़ी आवश्यकताओं और चुनौतियों से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं।
भारत अगले ‘क्वाड’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा जो 2025 की दूसरी छमाही में होने की संभावना है।
इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि ‘क्वाड’ हिंद-प्रशांत की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करेगा।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘‘साझेदारों के रूप में हमारा एक ऐसे स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर साझा दृष्टिकोण है जो शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हो।’’
‘क्वाड’ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 10 देशों के समूह आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) की महत्ता की भी बात की।
मंत्रियों ने कहा, ‘‘हम आसियान देशों की महत्ता एवं एकता के साथ-साथ हिंद-प्रशांत पर उसके दृष्टिकोण को मुख्य धारा में लाने और लागू करने के प्रति अपने अटूट समर्थन की पुष्टि करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रशांत क्षेत्र के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय संरचना का सम्मान करते हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रशांत द्वीप समूह मंच है। हम क्षेत्र के प्रमुख संगठन हिंद महासागर रिम एसोसिएशन के प्रति भी दृढ़ समर्थन व्यक्त करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्वाड क्षेत्र की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने को लेकर प्रतिबद्ध है।’’
‘क्वाड’ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने हिंद महासागर में आए भूकंप और सुनामी का जिक्र करते हुए बताया कि चारों देश चुनौतियों का सामना करने के लिए किस तरह एक साथ आगे आए।
उन्होंने कहा, ‘‘सुनामी इतिहास की सबसे भयानक आपदाओं में से एक थी, जिसमें 14 देशों में लगभग 25 लाख लोगों की जान चली गई और 17 लाख लोग विस्थापित हुए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे चारों देशों ने मिलकर 40,000 से अधिक आपातकालीन प्रतिक्रिया दल भेजे तथा आपदा से प्रभावित लाखों लोगों की सहायता के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य भागीदारों के साथ मिलकर काम किया।’’
मंत्रियों ने बयान में कहा कि मानवीय सहायता और आपदा राहत को लेकर चारों देशों की मजबूत आधारभूत प्रतिबद्धता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम क्षेत्र में आपदाओं से निपटने की तैयारी करने और इस दिशा में त्वरित एवं प्रभावी कदम उठाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चारों देशों ने 2024 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपदा से निपटने की तैयारियों और जीवन रक्षक राहत प्रयासों के लिए मिलकर काम किया और हम मानवीय संकटों एवं आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटने के नए तरीकों की पहचान करने के लिए इन प्रयासों को बढ़ाना जारी रखेंगे।’’
मंत्रियों ने इस बात पर भी संक्षेप में प्रकाश डाला कि ‘क्वाड’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जटिल चुनौतियों से निपटने पर कैसे ध्यान केंद्रित कर रहा है।
बयान में कहा गया, ‘‘एक आपदा से निपटने के लिए आपातकालीन प्रतिक्रिया के रूप में जो शुरू हुआ, वह हमारे क्षेत्र के लोगों के लिए सकारात्मक परिणाम देने वाली पूर्ण साझेदारी में विकसित हो गया है।’’
इसमें कहा गया है कि ‘क्वाड’ के सदस्य देश जलवायु परिवर्तन, कैंसर और महामारी से लड़ने से लेकर गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, आतंकवाद विरोधी प्रयासों, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र तक कई जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
मंत्रियों ने कहा, ‘‘2021 से चारों देशों के नेता दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र में ‘क्वाड’ के सकारात्मक योगदान को आगे बढ़ाने के लिए हर साल मिलते हैं।’’
भाषा सिम्मी नरेश
नरेश