पंजाब की याचिका खारिज: न्यायालय ने कहा फर्जीवाड़ा रुकना चाहिए

पंजाब की याचिका खारिज: न्यायालय ने कहा फर्जीवाड़ा रुकना चाहिए

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  • Publish Date - September 24, 2024 / 06:23 PM IST,
    Updated On - September 24, 2024 / 06:23 PM IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा)उच्चतम न्यायालय ने एनआरआई कोटे का दायरा बढ़ाने के फैसले को खारिज करने के पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दाखिल पंजाब सरकार की अपील मंगलवार को खारिज कर दी।

राज्य सरकार ने राज्य के चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए ‘एनआरआई कोटा’ के लाभार्थियों की परिभाषा को विस्तृत कर दिया था। शीर्ष न्यायालय ने पंजाब सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा, ‘‘यह धोखाधड़ी अब बंद होनी चाहिए।’’

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 10 सितंबर को आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के 20 अगस्त के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें अनिवासी भारतीय (एनआरआई) कोटा के तहत लाभ लेने के लिए दायरे को बढ़ाकर उनके दूर के रिश्तेदारों ‘जैसे चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई’’ को भी इसमें शामिल किया था। एनआरआई कोटा के तहत 15 प्रतिशत का आरक्षण चिकित्सा महाविद्यालय में प्रवेश के लिए निर्धारित किया गया है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘यह और कुछ नहीं बल्कि पैसा कमाने की मशीन है।’’

पीठ ने कहा,‘‘हम सभी याचिकाएं खारिज कर देंगे। यह एनआरआई व्यवसाय एक धोखाधड़ी के अलावा और कुछ नहीं है। हम यह सब खत्म कर देंगे… ।’’

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को ‘बिल्कुल सही’ बताते हुए कहा, ‘‘हानिकारक परिणामों को देखें… जिन उम्मीदवारों के अंक तीन गुना अधिक हैं, वे (नीट-यूजी पाठ्यक्रमों में) प्रवेश नहीं ले पाएंगे।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि विदेश में बसे ‘मामा, ताई, ताया’ के दूर के रिश्तेदारों को मेधावी उम्मीदवारों से पहले प्रवेश मिल जाएगा और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से एक धोखाधड़ी है। और यही हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ कर रहे हैं!… हम उच्च न्यायालय के फैसले को कायम रखेंगे। हमें अब इस एनआरआई कोटा व्यवसाय को बंद करना होगा। न्यायाधीशों को पता है कि वे क्या कर रहे हैं। अदालत ने मामले को बारीकी से निस्तारित किया है।’’

पीठ ने राज्य सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘इसे अब बंद करें… यह वार्ड क्या है? आपको बस यह कहना है कि मैं अमुक की देखभाल कर रहा हूं… हम किसी ऐसी चीज को अपना प्राधिकार नहीं दे सकते जो पूरी तरह से अवैध है।’’

पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों ने भी ‘एनआरआई कोटा’ की व्यापक व्याख्या की है। उन्होंने कहा कि इससे भी बड़ी बात कि राज्य सरकार को अधिकार है कि वह 15 प्रतिशत एनआरआई कोटा कैसे देती है।

अधिवक्ता ने अनिवासी भारतीय (एनआरआई) कोटा के पक्ष में दलील देते हुए पीठ से कहा कि चिकित्सा महाविद्यालयों की 85 प्रतिशत कुल नीट-यूजी सीट राज्यों द्वारा उनके अधिकार क्षेत्र के तहत भरी जाती हैं।

इस पर पीठ ने कहा कि अब केंद्र सरकार को भी इस पर ध्यान देना होगा।

इससे पहले उच्च न्यायालय की एक पीठ ने पंजाब के चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए एनआरआई कोटा का दायरा बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को खारिज करते हुए एक विस्तृत फैसला सुनाया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा जारी परिपत्र के माध्यम से ‘एनआरआई’ परिभाषा का दायरा बढ़ाना ‘कई कारणों से अनुचित’ है।

अदालत ने कहा, ‘‘शुरुआत में ‘एनआरआई कोटा’ का उद्देश्य वास्तविक एनआरआई और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाना था, जिससे उन्हें भारत में शिक्षा के अवसरों तक पहुंचने की अनुमति मिल सके। चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहन जैसे दूर के रिश्तेदारों को शामिल करते हुए परिभाषा को व्यापक बनाकर, इसके मुख्य उद्देश्य को कमतर कर दिया गया है।’’

भाषा धीरज नरेश

नरेश