आपदा प्रबंधन विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकार प्रभावित होंगे : विपक्ष

आपदा प्रबंधन विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकार प्रभावित होंगे : विपक्ष

आपदा प्रबंधन विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकार प्रभावित होंगे : विपक्ष
Modified Date: March 25, 2025 / 05:36 pm IST
Published Date: March 25, 2025 5:36 pm IST

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) राज्यसभा में मंगलवार को कुछ विपक्षी सदस्यों ने आशंका जतायी कि आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकार प्रभावित होंगे। वही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोर दिया कि इस विधेयक के प्रावधानों के चलते आपदा प्रबंधन प्रभावी तरीके से करने में मदद मिलेगी।

उच्च सदन में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए आम आदमी पार्टी (आप) सदस्य अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि इसके कुछ प्रावधानों को लेकर आशंका है कि राज्यों के अधिकार प्रभावित होंगे।

मित्तल ने कहा कि भारत में तरह-तरह की आपदाएं आती रहती हैं और कहीं भूकंप की आशंका रहती है तो कहीं भू-स्खलन की। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को तैयारियों और एहतियाती कदमों पर जोर देना चाहिए तथा राज्यों को पर्याप्त वित्तीय मदद करनी चाहिए।

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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सदस्य संजय यादव ने भी इस विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकार प्रभावित होने की आशंका जतायी और कहा कि केंद्र को राज्यों को सशक्त बनाने पर जोर देना चाहिए।

उन्होंने हर साल नेपाल में होने वाली बारिश से बिहार में बाढ़ आने का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार ऐसा राज्य है जो बाढ़ के साथ ही सूखा का भी सामना करता है। उन्होंने बिहार में हर साल बिजली गिरने और लू से कई लोगों की मौत हो जाने का भी मुद्दा उठाया।

राजद सदस्य ने कहा कि चुनावी साल के लिए नहीं बल्कि हर साल आपदा प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में भी आपदा प्रबंधन की व्यवस्था करने की मांग की।

बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्य मानस रंजन मंगराज ने कहा कि यह विधेयक राज्यों को किए जाने वाले आवंटन को लेकर आशंका पैदा करता है।

उन्होंने कहा कि ओडिशा प्राकृतिक आपदाओं से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में एक है और उसे अक्सर समुद्री चक्रवातों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र से ओडिशा को पर्याप्त मदद नहीं मिली और राज्य की पूर्ववर्ती नवीन पटनायक सरकार ने अपने कार्यकाल में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतरीन तंत्र की स्थापना की थी।

आप सदस्य संजय सिंह ने जिक्र किया कि उन्होंने अपनी टीम के साथ विभिन्न आपदाओं के दौरान प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि आपदा के समय तात्कालिक और दीर्घकालिक – दो तरह ही जरूरतें होती हैं, जिन पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है।

सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय और बड़ी आपदाओं के समय आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगाना चाहिए बल्कि सभी पक्षों को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान केंद्र, राज्य एवं सामाजिक संगठनों को समन्वय के साथ काम करना चाहिए।

वाईएसआर सदस्य अयोध्या रामी रेड्डी आला ने विधेयक की सराहना करते हुए कहा कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण भी आपदा का कारण बन सकते हैं और इन्हें भी ध्यान में रखकर विस्तृत योजना बनायी जानी चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पिछले 11 साल में लाए गए विभिन्न कानूनों को समग्रता में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार इन कानूनों के जरिए वैधानिक क्रांति कर रही है और पुराने कानूनों को हटा रही है।

भाजपा सदस्य ने कहा कि भारत में केंद्रीकृत और एकीकृत संघवाद है जिसमें केंद्र राज्यों को मदद करता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं जिससे समय से पहले लोगों, किसानों आदि को सतर्क कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों को सचेत करने के लिए दामिनी, मेघदूत जैसे कई ऐप विकसित किए हैं जिनसे बिजली गिरने या बारिश आदि की पहले ही जानकारी मिल जाती है।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए राज्यों को अधिक अधिकार दिए गए हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सदस्य प्रफुल्ल पटेल ने आपदा से निपटने के लिए केंद्र द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि केंद्र वृक्षारोपण के लिए भी मदद कर रहा है।

भाजपा सदस्य नरेश बंसल ने भी आपदा प्रबंधन से निपटने के लिए केंद्र के विभिन्न प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने आपदा प्रबंधन से निपटने में सरकारी और सामाजिक संगठनों के बीच समन्वय की जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से एक ओर केंद्र एवं राज्यों की भूमिका स्पष्ट होगी वहीं जानमाल का नुकसान भी कम होगा।

भाषा

अविनाश माधव मनीषा

मनीषा


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