डीएनए परीक्षण से पितृत्व जांच की अनुमति देते समय गोपनीयता का ध्यान रखना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

डीएनए परीक्षण से पितृत्व जांच की अनुमति देते समय गोपनीयता का ध्यान रखना चाहिए: उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - January 29, 2025 / 12:49 AM IST,
    Updated On - January 29, 2025 / 12:49 AM IST

नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि डीएनए परीक्षण के जरिए किसी के पितृत्व की जांच की अनुमति देते समय अदालतों को बच्चे और माता-पिता की गोपनीयता के उल्लंघन का भी ध्यान रखना चाहिए।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने केरल के एक व्यक्ति से जुड़े पितृत्व पर दो दशक पुराने विवाद पर सुनवाई करते हुए प्रक्रिया निर्धारित की कि अदालत पितृत्व का पता लगाने के लिए डीएनए जांच का आदेश कब दे सकती है।

पीठ ने कहा, ‘‘जबरन डीएनए परीक्षण करवाने से व्यक्ति की निजी बातें दुनिया के सामने आ सकती हैं। यह जांच, खास तौर पर जब बेवफाई के मामलों की हो, कठोर हो सकती है और समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा को खत्म कर सकती है। यह व्यक्ति के सामाजिक और पेशेवर जीवन के साथ-साथ उसके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है।’’

पीठ ने कहा कि हितों का संतुलन होना चाहिए और अदालत को डीएनए जांच की जरूरत का आकलन करना चाहिए।

भाषा खारी वैभव

वैभव