उम्रकैद की सजा में से 10 साल पूरे कर चुके कैदियों को मिलेगी जमानत! SC ने रखी ये शर्त

Prisoners who have completed 10 years of life imprisonment will get bail: उम्रकैद की सजा में से 10 साल पूरे कर चुके कैदियों को मिलेगी जमानत..

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  • Publish Date - September 15, 2022 / 10:45 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:08 PM IST

नई दिल्ली। Supreme Court on Life Imprisonment : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि जिन दोषियों ने उम्रकैद की सजा के 10 साल पूरे कर लिये हैं और जिनकी अपील पर निकट भविष्य में उच्च न्यायालय में सुनवाई होने की संभावना नजर नहीं आ रही है, उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए, बशर्ते राहत से इनकार का कोई ठोस कारण मौजूद न हो।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जेलों में भीड़भाड़ कम करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन दोषियों के संदर्भ में ऐसा किये जाने की जरूरत है, जिनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील वर्षों से लंबित है और उच्च न्यायालयों द्वारा निकट भविष्य में इसकी सुनवाई की कोई संभावना नहीं है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ आजीवन कारावास की सजा पाने चुके दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। अपीलकर्ताओं ने इस आधार पर जमानत की मांग की है कि उनकी अपील विभिन्न उच्च न्यायालयों में वर्षों से लंबित हैं और निकट भविष्य में इनकी सुनवाई की संभावना नहीं है, क्योंकि बड़ी संख्या में लंबित मामले न्यायिक प्रणाली को अवरुद्ध कर रहे हैं।

न्यायालय ने कहा, ‘… हमारा विचार है कि अपनी सजा के 10 साल पूरे कर चुके उन दोषियों को जमानत पर छोड़ दिया जाना चाहिए, जिनकी अपील पर निकट भविष्य में सुनवाई के आसार नहीं हैं।’’ न्याय मित्र गौरव अग्रवाल ने कहा कि शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश के तहत छह उच्च न्यायालयों को ब्योरा देने के लिए कहा गया था और उन्होंने एक हलफनामा दायर किया है।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आंकड़े बताते हैं कि 5740 मामले ऐसे हैं, जहां अपील लंबित हैं चाहे वह एकल पीठ स्तर पर हो या खंडपीठ स्तर पर। अग्रवाल ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सबसे अधिक अपील लंबित हैं और 385 दोषियों को उनकी सजा के 14 साल से अधिक समय बीत चुका है, जबकि पटना उच्च न्यायालय के आंकड़ों के अनुसार, 268 दोषियों के मामलों में समय से पहले रिहाई पर विचार किया जा रहा है।

इसने उच्च न्यायालयों और राज्य विधिक सेवा अधिकारियों को इस आदेश पर अमल के लिए चार महीने का समय दिया और मामले को अगले साल जनवरी में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

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