लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रधानमंत्री मोदी ने डिफेंस एक्सपो 2020 का उद्घाटन किया, इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य तो है ही, आने वाले समय यूपी डिफेंस मैन्युफेक्चर्स का सबसे बड़ा हब बनने वाला है। ऐसे में नए दशक के इस पहले डिफेंस एक्स्पो का यहां होना, अपने आप में प्रसन्नता का विषय है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने जानकारी दी कि इस बार एक हज़ार से ज्यादा डिफेंस मैन्युफेक्चर्स और दुनियाभर से 150 कंपनियां इस एक्स्पो का हिस्सा हैं। इसके अलावा 30 से ज्यादा देशों के डिफेन्स मिनिस्टर्स और सैकड़ों बिजनेस लीडर भी यहां उपस्थित हैं। यह भारत की रक्षा-सुरक्षा की चिंता करने वालों के साथ-साथ पूरे भारत के युवाओं के लिए भी बड़ा अवसर है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा मेक इन इंडिया से भारत की सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं डिफेंस सेक्टर में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। दुनिया में जब 21वीं सदी की चर्चा होती है, तो स्वाभाविक रूप से भारत की तरफ़ ध्यान जाता है। आज का ये डिफेंस एक्सपो भारत की विशालता, उसकी व्यापकता, उसकी विविधता और विश्व में उसकी विस्तृत भागीदारी का सबूत है। रक्षा और इकॉनोमी जैसे विषयों की जानकारी रखने वाले ज़रूर इस बात को जानते हैं कि भारत सिर्फ़ एक बाज़ार ही नहीं है।
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भारत पूरे विश्व के लिए एक अपार अवसर है, टेक्नॉलॉजी का गलत इस्तेमाल हो और टेररिज्म हो या फिर Cyber Threat, ये पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। नई सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए दुनिया की तमाम डिफेंस फोर्सेस, नई टेक्नॉलॉजी को इवॉल्व कर रही हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि Artillery Guns हों, Aircraft Carrier हों, Frigates हों, Submarines हों, Light Combat Aircrafts हों, Combat Helicopters हों, ऐसे अनेक साजो-सामान आज भारत में ही बन रहे हैं, अब हमारा लक्ष्य ये है कि आने वाले 5 वर्ष में डिफेंस एक्सपोर्ट को 5 बिलियन डॉलर यानि करीब 35 हज़ार करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाए।
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पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी, दुनिया की दूसरी बड़ी सेना और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, कब तक सिर्फ और सिर्फ Import के भरोसे रह सकता था, आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं हैं, Research and Development की उच्च क्षमता और उन शस्त्रों का उत्पादन। बीते 5-6 वर्षों में हमारी सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रनीति का प्रमुख अंग बनाया है, मैं समझता हूं कि उपयोगकर्ता और उत्पादक यानि यूजर और प्रोड्यूसर के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है। पहले डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में प्राइवेट सेक्टर को टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत समस्याएं आती थीं। इसके लिए अब रास्ते खोले गए हैं और DRDO में भारतीय उद्योगों के लिए बिना चार्ज के Transfer Of Technology की नीति बनायी गई है, ऐसे कदमों से वर्ल्ड सप्लाई चैन में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ेगी। दुनिया के टॉप डिफेंस मैन्युफेक्चर्रस को अधिक कंपिटेंट इंडियन पार्टर्नर्स मिलेंगे।