President Draupadi murmu: दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में एक भोज का आयोजन करने जा रही हैं। ऐसा यह पहला आयोजन है, जिसमें अनुसूचित जाति के शिक्षकों को बुलाया गया है। अनुसूचित जाति आयोग पिछले कई दिनों से देश के 104 विश्वविद्यालयों में जनजाति को लेकर कार्यक्रम कर रहा है। इसी कार्यक्रम के समापन समारोह में राष्ट्रपति को बुलाया गया था, लेकिन राष्ट्रपति ने खुद सभी को राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया है। आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि समारोह में 100 वाइस चांसलर और 400 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों बुलाया गया है।
बातचीत में अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चौहान ने बताया कि राष्ट्रपति मुर्मू जी को विज्ञान भवन में समापन समारोह को संबोधित करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे बढ़ कर कहा कि सभी लोगों को राष्ट्रपति भवन बुलाया जाए। अनुसूचित जातियों को लेकर राष्ट्रपति भवन में पहली बार इतनी बड़ी बैठक शायद पहले कभी हुई ही हो। राष्ट्रपति मुर्मू के सामने जनजाती समुदाय से जुड़े मुद्दे रखे जाएंगे। उन्होंने बताया कि अस्मिता अस्तित्व और विकास बातचीत मुख्य बिंदु रहेंगे. राष्ट्रपति भवन में भोज का आयोजन सोमवार को होगा।
President Draupadi murmu: अनुसूचित जाति आयोग पिछले कई दिनों से देश के 104 विश्वविद्यालयों में जनजाति को लेकर कार्यक्रम कर रहा है। ये कार्यक्रम देश के 23 राज्यों में चलाए गए हैं. इन कार्यक्रमों में जनजाति समाज के 40000 लोगों की सहभागिता रही जिसमें छात्र, प्राध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ता और गैर शैक्षणिक कर्मचारी शामिल थे। इसमें मुख्य बिंदु स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नेताओं का योगदान है। हर्ष चौहान का कहना है कि इस पर कई दशकों से काम नहीं हुआ है। राष्ट्रपति मुर्मू के समक्ष जनजाति के विकास को लेकर कई प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी।
President Draupadi murmu: गुजरात के चुनाव में राहुल गांधी ने जनजाति का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि ये आदिवासी हैं और भारत के मूल निवासी हैं। वहीं संघ और बीजेपी का मानना है के देश की जनजातियां हिंदू सभ्यता का हमेशा से हिस्सा रही है और हिंदू धर्म में विविधता का प्रतीक हैं। राष्ट्रपति मुर्मू देश की पहली राष्ट्रपति हैं जो आदिवासी समुदाय से आती हैं। संघ ने लगातार आदिवासी मसलों पर काम किया है, जिसमें धर्मांतरण का मुद्दा मुख्या रहा है। इस कार्यकाल में बीजेपी आदिवासी मुद्दों पर फोकस कर रही है।