Prashant Kishor Protest: नहीं सुलझा BPSC परीक्षा का विवाद, अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर, सरकार के सामने रखी अपनी ये 5 बड़ी मांग

Prashant Kishor Protest: नहीं सुलझा BPSC परीक्षा का विवाद, अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर, सरकार के सामने रखी अपनी ये 5 बड़ी मांग

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  • Publish Date - January 2, 2025 / 08:45 PM IST,
    Updated On - January 2, 2025 / 08:45 PM IST

पटना। Prashant Kishor Protest: बिहार में बीपीएससी छात्रों को लेकर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के सामने आज आमरण अनशन पर बैठ गए हैं और मांग की है कि, उन्होंने BPSC 70वीं पीटी परीक्षा रद्द करने की मांग की है। वहीं अब ये आशंका जताई जा रही है कि, प्रशांत किशोर के इस कदम से बिहार की सियासत में और उबाल आ सकता है।

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प्रशांत किशोर ने कहा, ”यह बिहार की अहंकारी सरकार के खिलाफ है, जिसके नेता सीएम नीतीश कुमार ने छात्रों से तब भी मिलने पर विचार नहीं किया, जब छात्र आंदोलन वापस लेने पर सहमत हो गए थे।” सीएम कहते हैं कि परीक्षाएं नहीं हो सकती, छात्रों को अधिकारियों ने पीटा। हम जैसे लोगों के लिए केवल एक ही रास्ता है, इसलिए मैं अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहा हूं। ”

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बता दें कि कुछ दिन पहले बीपीएससी अभ्यर्थियों के प्रदर्शन में शामिल होने के बाद प्रशांत किशोर घिर गए थे। कुछ छात्रों ने उनपर राजनीति का आरोप लगाया था। जिसके बाद उन्होंने इस पर सफाई दी थी और सरकार से न्याय की मांग की थी। जनसुराज के एस्क हैंडल पर इस मामले में पोस्ट करते हुए कहा गया है कि प्रशांत किशोर ध्वस्त शिक्षा और भ्रष्ट परीक्षा व्यवस्था के खिलाफ गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के नीचे आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।

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Prashant Kishor Protest: वहीं प्रशांत किशोर ने अपनी पांच मांगो के साथ अनशन शुरु किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि, 70वीं बीपीएससी परीक्षा में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच और पुनर्परीक्षा कराई जाए।  2015 में 7 निश्चय के तहत किए वादे के अनुसार 18 से 35 साल के हर बेरोजगार युवा को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। पिछले 10 वर्षों में प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं और पेपर लीक की जांच एवं दोषियों पर की गई कार्रवाई पर श्वेत पत्र जारी किया जाए। लोकतंत्र की जननी बिहार को लाठीतंत्र बनाने वाले दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। बिहार की सरकारी नौकरियों में बिहार के युवाओं की कम से कम दो तिहाई हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए डोमिसाइल नीति लागू की जाए।

 


 

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