Pralay Ballistic Missile

Pralay Ballistic Missile: रक्षा मंत्रालय ने प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को दी मंजूरी, जानिए इसकी खासियत

Pralay Ballistic Missile: रक्षा मंत्रालय ने प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीद को दी मंजूरी, जानिए इसकी खासियत

Edited By :   Modified Date:  September 18, 2023 / 08:39 AM IST, Published Date : September 18, 2023/8:39 am IST

Pralay Ballistic Missile: रक्षा मंत्रालय ने सेना की मारक क्षमता को बड़ा बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला किया है। मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए ‘प्रलय’ बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजिमेंट की खरीद को मंजूरी दे दी है। इसे चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनात किया जाएगा।

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‘प्रलय’ सेना की लिस्ट में सतह से सतह पर मार करने वाली सबसे लंबी दूरी की मिसाइल होगी। प्रलय, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के साथ, भारत की योजनाबद्ध रॉकेट फोर्स का आधार बनेगी। चीन और पाकिस्तान दोनों ने पहले ही बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात कर दी हैं। प्रलय मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। ये मिसाइलें सामरिक उद्देश्यों और सैन्य आवश्यकताओं के अनुसार सीमा तैयार की गई है।

प्रलय की खासियत क्या है

150-500 किलोमीटर के बीच लक्ष्य को तबाह करने की क्षमता

‘प्रलय’ बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजिमेंट हासिल करने के प्रस्ताव को हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में मंजूरी दे दी गई। यह 150-500 किलोमीटर के बीच लक्ष्य को तबाह कर सकती है। यह लगभग 350 किलोग्राम से 700 किलोग्राम तक के पारंपरिक हथियार ले जाने में सक्षम है। यह इसे घातक मारक क्षमता प्रदान करता है।

इंटरसेप्टर मिसाइलों को विफल करने की क्षमता

‘प्रलय एक हाई एक्सप्लोसिव पूर्वनिर्मित फ्रेगमेंटेशन वारहेड, पेनेट्रेशन-कम-ब्लास्ट (पीसीबी) और रनवे डिनायल पेनेट्रेशन सबम्युनिशन (RDPS) भी ले जा सकता है। ‘प्रलय’ को सेमि-बैलिस्टिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में चिह्नित किया गया है। इसमें इंटरसेप्टर मिसाइलों को विफल करने के लिए डिजाइन की गई एडवांस क्षमताएं हैं। यह एक निश्चित दूरी तय करने के बाद उड़ान के बीच में अपने ट्रैजिक्टरी को बदलने की क्षमता प्रदर्शित करता है।

डोंग फेंग 12 और रूसी इस्कंदर मिसाइल से तुलना

मिसाइल एक सॉलिड प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर से संचालित होती है। इसकी गाइडेंस सिस्टम में अत्याधुनिक नेविगेशन और एकीकृत एवियोनिक्स सहित अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को शामिल किया गया है। इसकी तुलना चीन की डोंग फेंग 12 और रूसी इस्कंदर मिसाइल से की जा सकती है। रूसी मिसाइल का इस्तेमाल यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में किया गया है। इस मिसाइल सिस्टम का विकास 2015 के आसपास शुरू हुआ था। इसे दिवंगत जनरल बिपिन रावत ने सेना प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण रूप से संचालित किया था।

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