Publish Date - September 28, 2023 / 04:36 PM IST,
Updated On - September 28, 2023 / 04:36 PM IST
बेंगलुरु: चंद्रयान 3 का प्रज्ञान रोवर किसी तरह की हरकत नहीं कर रहा है। तो क्या यह समझ जाएँ की भारत का चंद्र मोशन अब पूरा हो गया? (Pragyan Rover Latest Updates) या फिर अब भी उम्मीद बाकी है। दरअसल प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड से वापिस एक्टिव मोड में लाने की कोशिश भारत से नहीं बल्कि यूरोपीय स्पेस एजेंसी का फ्रेंच गुयाना का कौरौ (Kourou) स्टेशन से किया जा रहा है लेकिन अबतक इस पर किसी तरह की कामयाबी नहीं मिल सकी है।
व्ही इस बारे में दुनिया के कई अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है की भारत का यह मिशन अब पूरा समझा जाना चाहिए क्योंकि इस बात की उम्मीद बेहद ही कम हो चली ही कि प्रज्ञान रोवर अब फिर से जागे और फिर किसी तरह का वापसी धरती को भेजे। वैज्ञानिक इसके पीछे चाँद के जटिल हालातों को वजह बता रहे है। तो आइये जानते है कि चन्द्रमा में ऐसे क्या हालात है जो प्रज्ञान रोवर के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला है।
चांद पर सामान्य तौर पर रात का तापमान माइनस 140 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। वहीं, दक्षिण ध्रुवीय इलाके में चंद्र रात का तापमान माइनस 210 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा तक गिर जाता है। इस भीषण सर्द मौसम में बैटरियों के साथ दूसरे पेलोड्स का बचना करीब-करीब नामुमकिन है।
चांद पर मौजूद विकिरण किसी भी उपकरण या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसरो ने बताया था कि चांद पर विकिरण का स्तर काफी ज्यादा है। हालांकि, ऐसे हालात के लिए पर्याप्त परीक्षण किए गए हैं।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार का कहना है कि रात में चांद के दक्षिणी इलाके का तापमान माइनस 250 डिग्री सेल्सियस तक गिरने पर बैटरियां खराब हो सकती है। इसके बाद चांद पर सूर्य के निकलने पर इनका फिर से चार्ज होना नामुमकिन हो जाएगा।
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा के मुताबिक, रात में चांद के दक्षिणी ध्रुव का तापमान माइनस 210 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। (Pragyan Rover Latest Updates) इस तापमान पर कोई भी प्लास्टिक मैटेरियल, कार्बन पावर मैटेरियल और कोई भी इलेक्ट्रॉनिक आइटम सही हालत में बचना करीब-करीब नामुमकिन होता है। ये सभी चीजें टूटकर बिखर सकती हैं।
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा के मुताबिक, सबसे बड़ी बात ये है कि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को चांद पर धरती के 14 दिन के बराबर सक्रिय रहने के लिए ही बनाया गया था। ये उम्मीद पहले से ही थी कि रात में जब चांद पर भीषण सर्दी पड़ेगी तो चंद्रयान के कुछ हिस्से खराब हो सकते हैं।