IBC Pedia , President Election 2022: नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है और इसी के साथ सियासी सरगर्मियां नए सिरे से चढ़ने लगी हैं। भाजपा के खिलाफ मोर्चाबंदी के लिए कांग्रेस पार्टी दूसरे विपक्षी दलों के मन की बात जानने में जुट गई है और उन्हें एक खेमे में लाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी से संपर्क साधा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी दलों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि खड़गे ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा नेता संजय सिंह से बात की है। आप भी सत्ताधारी एनडीए के प्रत्याशी के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने के पक्ष में है। वहीं कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार कौन होगा, इस पर अभी चर्चा शुरू नहीं हुई है। अभी पार्टी ये देख रही है कि कौन-कौन से दल संयुक्त उम्मीदवार उतारने के पक्ष में हैं, उसके बाद संभावित नामों पर विचार विमर्श किया जाएगा।
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दूसरे विपक्षी दलों की थाह लेने के लिए बाकी दलों के नेताओं ने भी प्रयास शुरू कर दिए हैं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को वाम दलों के नेताओं से बात की थी। इनमें सीपीआई के महासचिव डी. राजा भी शामिल थे। सीपीआई नेता बिनॉय विश्वम ने ट्वीट करके कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे का फोन आने की जानकारी दी और कहा कि सीपीआई धर्मनिरपेक्ष साख और प्रगतिशील दृष्टिकोण वाले संयुक्त उम्मीदवार का समर्थन करेगी। कहा जा रहा है कि एक बार सभी दलों से अनौपचारिक बातचीत के बाद सभी विपक्षी दलों की दिल्ली में संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें आगामी रणनीति पर विचार होगा। जिसके बाद एक संयुक्त उम्मीदवार होगा जो समान विचारधारा वाले दलों के धर्मनिरपेक्ष विचारों का प्रतिनिधित्व करेगा।
वहीं लोकसभा, राज्यसभा और अलग-अलग विधानसभा में सदस्यों के आंकड़ों को देखें तो भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है। ऐसे में हर किसी की नजर भाजपा के संभावित उम्मीदवार पर टिकी है। लेकिन पूरे देश में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों ( Possible presidential candidates) के लिए क्या चर्चा हो रही है?
जो सबसे ज्यादा चर्चा है उसमें किसी मुस्लिम चेहरे को भी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले दिनों में आई अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में इसके लिए जिन नामों की चर्चा हो रही है। इनमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। चूंकि भाजपा और संघ को कट्टरपंथी मुस्लिम विरोधी तमगे से नवाज़ते आए हैं ऐसे में बुद्धिजीवी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले आरिफ मोहम्मद खान एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकते हैं जो राष्ट्रपति पद की दौड़ में एनडीए प्रत्याशी के तौर पर अपनी स्थिति भुना सकते हैं।
भाजपा के प्रत्याशियों के तौर पर केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का नाम भी सामने आ रहा है। मुख्तार अब्बास नकवी पहली बार रामपुर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। इसके बाद से मुख्तार अब्बास नकवी तीन बार राज्यसभा भेजे गए, लेकिन इस बार कहानी बदल चुकी है।
दलितों में सर्वमान्य नेता के तौर पर बसपा सुप्रीमो मायावती को देखा जा रहा है। वो चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। जबकि यूपी के बीते हुए हाल के विधानसभा चुनाव से ही मायावती पर भाजपा के इशारे पर चलने का आरोप लगता रहा है। यूपी में बसपा की दलित राजनीति को खत्म करने के लिए भाजपा यह दांव भी खेल सकती है।
पूरे देश भर में नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव का कोई विकल्प फिलहाल समाजवादी पार्टी या उसके वोटरों को अभी तक नहीं मिल पाया है। मुलायम सिंह यादव खुद कई बार मुख्यमंत्री और एक बार रक्षामंत्री रह चुके हैं। उन्हे अन्य दलों का भी समर्थन मिल सकता है।
वहीं आदिवासी चेहरे और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम पर भी चर्चा चल रही है। उन्हे भी देश का अगला राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। मुर्मू उड़ीसा के आदिवासी जिले मयूरभंज की रहने वाली है। झारखंड के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है।
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तेलंगाना के राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन जो दक्षिण के एक प्रमुख नेता हैं, के नाम संभावित उम्मीदवारों के रूप में हैं, लेकिन सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार को भी 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए चुना जाएगा।
छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसूईया उइके को भी राष्ट्रपति को तौर पर देखा जा रहा है। सियासी हलकों में चल रही चर्चा के मुताबिक भाजपा की ओर से किसी आदिवासी महिला उम्मीदवार पर दांव लगाया जा सकता है। आदिवासी महिला उम्मीदवार के रूप में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया भी दावेदार हो सकती हैं।
एम. वेंकैया नायडू, वर्ष 2017 तक पीएम मोदी की केबिनेट का हिस्सा रहे नायडू इसलिए अगले राष्ट्रपति की दौड़ में सबसे आगे हैं क्योंकि उनकी कार्यशैली के मुरीद जितने उनके समर्थक हैं उतने ही विरोधी भी उनके नेतृत्वकर्ता वाली क्षमता के कायल हैं। एक मंत्री के रूप में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए जाने जाने वाले नायडू उन नेताओं में से हैं जो अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का भी हिस्सा रहे हैं और पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में अहम मंत्रिमंडल का हिस्सा भी रहे। देखा जाए तो पदोनत्ति पाने वाले नायडू सातवें उपराष्ट्रपति होंगे जो राष्ट्रपति बन सकेंगे।
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इस बीच खबर आई कि देश की सत्ता पर प्रचंड बहुमत से काबिज बीजेपी (BJP) इस बार राष्ट्रपति पद के लिए किसी आदिवासी उम्मीदवार (BJP Presidential Candidate) को उतारने पर विचार कर रही है। यानी बीजेपी ने ट्राइबल कार्ड (Tribal Card) चला तो देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिल सकता है इसमें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का नाम भी सामने आ रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सिलसिले में चल रहे बाकी नामों के इतर जुअल ओरांव (Jual Oraon) का नाम भी है जिस पर विचार किया जा सकता है। राष्ट्रपति पद के लिए चर्चा में ये नाम काफी समय से चल रहे हैं, हालांकि अभी तक इस विषय यानी उम्मीदवार कौन होगा उसे लेकर कोई अधिकारिक प्रतिक्रिया या बयान सामने नहीं आया है।
राष्ट्रपति चुनाव का प्रोग्राम ऐलान होने के बाद से सियासी फिजाओं में नए राष्ट्रपति के संभावित नामों को लेकर चर्चा तेज हो गई है, इस बीच, जेडीयू नेता और राज्य सरकार में मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार में योग्यता और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। वो राष्ट्रपति और पीएम बनने की योग्यता रखते हैं।
यदि वर्तमान व्यक्ति को ही विस्तार दिया गया तो निस्संदेह रामनाथ कोविंद ही राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे क्योंकि भाजपा और पीएम मोदी की सोच इस बात से इतर नहीं है। 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी को यूपीए गठबंधन से जीतकर आने के बावजूद पीएम मोदी और एनडीए गठबंधन ने प्रस्ताव दिया था यदि आप सहमति दें तो आप अपना कार्यकाल जारी रख सकते हैं, एनडीए आपका समर्थन करेगी। प्रणब दा ने तब इस आदर के प्रति पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया था पर असहमति भी जता दी थी। इसके बाद एनडीए गठबंधन ने बिहार राज्य के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नाम प्रस्तावित करते हुए उन्हें “राष्ट्रपति” पद का उम्मीदवार चयनित किया था। ऐसे में यदि कोविंद को पुनः आगे किया जाता है तो कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगी।
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भाजपा चौकाने में बड़ी खिलाड़ी है। गुमनाम नामों को चर्चा में लाना कोई भाजपा से सीखे। रामनाथ कोविंद से बड़ा उदाहरण और कोई नहीं हो सकता। ऐसे में एक और गुमनाम व्यक्ति हैं सुरेश प्रभाकर प्रभु जो मोदी सरकार के 2014-19 कार्यकाल में रेल मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय के धारक रहे। वर्तमान में राज्यसभा सांसद होने के नाते और पार्टी के पुराने, अनुभवी और वयोवृद्ध नेता होने के नाते उन्हें गुमनामी से मेनस्ट्रीम राजनीति में वापस लाया जा सकता है।
नाम तो और भी कई हैं जैसे कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। लोगों का दावा है कि मोदी सरकार आरएसएस ब्रैकग्राउंड के किसी पुराने और कद्दावर नेता को राष्ट्रपति की कुर्सी पर ला सकते हैं। इस दावे के तहत मध्यप्रदेश के दलित नेता और कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के नाम की चर्चा है।
गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और वर्तमान में यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का नाम भी चर्चा में है। पीएम मोदी के साथ-साथ आरएसएस से भी इनकी निकटता है। भाजपा में लंबे समय से है। गुजरात चुनाव में पार्टी को इस का लाभ मिल सकता है।
बता दें कि दिनों चुनाव आयोग ने बताया था कि भारत का अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा। वहीं 21 जुलाई को पता चलेगा कि अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है। 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष ने मीरा कुमार को मैदान में उतारा था, वह जीत तो नहीं पाईं लेकिन हारकर भी एक रिकॉर्ड बना गईं। उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में हारने वाले अब तक के किसी भी उम्मीदवार से सबसे ज्यादा वोट मिले थे। मीरा कुमार को डाले गए 10.69 लाख वैध मतों में से 3.67 लाख वोट मिले थे। इस बार शिवसेना और टीआरएस के अतिरिक्त समर्थन से विपक्ष के पास इस रिकॉर्ड को भी तोड़ने का मौका है।
वोट बैंक की राजनीति से दूर हैं, लोगों की प्रगति…
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