पांटून पुल बंद किए जाने से महाकुंभ मेले में श्रद्धालु परेशान

पांटून पुल बंद किए जाने से महाकुंभ मेले में श्रद्धालु परेशान

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  • Publish Date - January 28, 2025 / 04:07 PM IST,
    Updated On - January 28, 2025 / 04:07 PM IST

महाकुंभ नगर, 28 जनवरी (भाषा) महाकुंभ मेले में विशिष्ट और अति विशिष्ट व्यक्तियों (वीवीआईपी) के आगमन के बीच ज्यादातर पांटून पुल बंद किए जाने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि वीआईपी व्यक्तियों को सुविधाएं दिए जाने के कारण पूरा मेला खराब हो रहा है तथा पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी और मेला अधिकारी वीआईपी व्यक्तियों की आवभगत में आम श्रद्धालुओं की उपेक्षा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “वीआईपी के लिए बैरिकेड हटाकर उनके लिए रास्ता खाली कराया जा रहा, लेकिन आम श्रद्धालुओं को 15-20 किलोमीटर पैदल आना पड़ रहा है। उसमें भी पांटून पुल बंद करके उन्हें परेशान किया जा रहा।”

बरेली से आईं सुमन कुमारी ने कहा कि कल से ज्यादातर पांटून के पुल बंद हैं और पुलिस कर्मी उन्हें इधर से उधर घुमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र में गंगा नदी पार करके जाने का यही पांटून का पुल एक माध्यम है।

बिजनौर से महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर स्नान करने आईं पुष्पा देवी ने कहा कि मेला क्षेत्र में 30 पांटून पुल बनाए गए हैं और वह सुबह चार बजे से यहां घूम रही हैं और उनकी गाड़ी 15 किलोमीटर दूर पार्क कराई गई है जहां से वह पैदल आई हैं।

उन्होंने पूछा, “आखिर वीआईपी इन पुलों से क्यों जा रहे हैं? क्या हम इंसान नहीं हैं।”

मेले में आए पेशे से डॉक्टर प्रत्यूष कुमार ने कहा कि पुलिस कर्मी किसी की नहीं सुन रहे हैं और किन लोगों के लिए सरकार ने यह पुल बनवाया है।

मेलाधिकारी विजय किरण आनंद और पुलिस अधीक्षक (यातायात) अंशुमान मिश्रा से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।

मेला प्रशासन ने मौनी अमावस्या पर करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ आने की संभावना को देखते हुए मेला क्षेत्र को ‘नो व्हीकल’ (वाहन निषेध) जोन घोषित कर दिया है और वीआईपी, पुलिस प्रशासन, दमकल और एंबुलेंस की गाड़ियों को छोड़कर किसी भी वाहन को मेला क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। वहीं, जिले से बाहर की गाड़ियों को प्रयागराज की सीमा पर ही रोक दिया गया है जिससे श्रद्धालुओं को पैदल चलकर मेला क्षेत्र में आना पड़ रहा है।

भाषा राजेंद्र नोमान

नोमान