#SarkaronIBC24 नईदिल्ली। इन दिनों देश में गणेश उत्सव की धूम है..। हर कोई गणपति बप्पा की पूजा में लीन है..। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गणेश उत्सव के दौरान बप्पा की आरती करते नजर आए हैं..। लेकिन उसकी गणपति आराधना उनके विरोधियों को रास नहीं आई है..। दरअसल इस विरोध के पीछे कुछ खास वजह है.. क्या है ये वजह और क्यों मचा है बवाल…आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…।
तस्वीरें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के निवास की है…जहां गणेश उत्सव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहुंचकर गणपति बप्पा की आरती उतारी…। इस वीडियो के वायरल होने के बाद बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है..। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने तो चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की निष्पक्षता पर ही सवाल उठा दिया है। इस गंभीर सवाल के पीछे की मुख्य वजह प्रधानमंत्री का चीफ जस्टिस के घर जाना है…। संजय राउत ने शिवसेना की मान्यता से जुड़े मामले का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश की निष्पक्ष निर्णय देने की क्षमता पर संदेह जताने की कोशिश की है।
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#SarkaronIBC24 राउत ने एक्स पर लिखा कि – अगर संविधान के संरक्षक राजनीतिक नेताओं से इस तरह से मिलते हैं, तो लोगों को संदेह होता है। मुख्य न्यायाधीश को खुद को इस मामले से अलग कर लेना चाहिए क्योंकि केंद्र सरकार के मुखिया के साथ उनके ‘संबंध’ ‘खुले तौर पर सामने’ आ रहे हैं।
बात राजनीतिक दल की आपत्ति तक ही सीमित नहीं रही बल्कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ वकीलों ने भी प्रधानमंत्री मोदी के चीफ जस्टिस के आवास पर जाने पर आपत्ति जताई है। वकील प्रशांत भूषण ने वीडियो को रिट्वीट कर लिखा,
‘यह चौंकाने वाली बात है कि CJI चंद्रचूड़ ने मोदी को निजी मुलाकात के लिए अपने आवास पर आने की अनुमति दी। इससे न्यायपालिका को बहुत बुरा संकेत मिलता है, जिसका काम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा कार्यपालिका से करना और यह सुनिश्चित करना है कि सरकार संविधान के दायरे में काम करे। इसलिए कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक दूरी होनी चाहिए।’
वकील इंदिरा जयसिंह ने भी बार एसोसिएशन को टैग करते हुए सवाल उठाया कि -‘भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के विभाजन को लेकर समझौता किया है। CJI की स्वतंत्रता में सारा विश्वास खो दिया है।’
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भाजपा विरोधी खेमे की ओर से प्रधानमंत्री मोदी और चीफ जस्टिस के खिलाफ मोर्चा खोले जाने के बाद भाजपा ने भी पलटवार करते देर नहीं लगाई..। भाजपा नेता बीएल संतोष ने लिखा, – ‘रोना शुरू हो गया!!! इन वामपंथी उदारवादियों के लिए शिष्टाचार, सौहार्द, एकजुटता, देश की यात्रा में सहयात्री, ये सब अभिशाप हैं। यह सामाजिक मिलना-जुलना नहीं था, गणपति पूजा को पचा पाना बहुत मुश्किल है।’
वहीं भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘कांग्रेस ईकोसिस्टम सुप्रीम कोर्ट पर ऐसे हमले करता है, जैसे राहुल गांधी ने पूर्व में किए थे। यह न्यायालय की शर्मनाक अवमानना और न्यायपालिका का अपमान है।’
भाजपा खेमे ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए 18 सितंबर 2009 को तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर हुई इफ्तार पार्टी की वो तस्वीर साझा कर दी जिसमें तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन भी नजर आ रहे हैं।
बहरहाल चीफ जस्टिस के आवास पर गणेश पूजा जैसे नितांत निजी और धार्मिक आयोजन में प्रधानमंत्री की मौजूदगी पर उठाए जा रहे सवालों ने इस बहस को जन्म दे दिया है कि ये आपत्तियां लोकतांत्रिक व्यवस्था के भरोसे के लिए सही हैं या गलत?
ब्यूरो रिपोर्ट, आईबीसी 24