नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृति के पक्ष में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया हैं। जिसकी चर्चा काफी तेज गति से हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि सेक्स वर्कर्स के काम में कोई नहीं हस्तक्षेप नहीं करेगा। ये उनका अपना व्यवसाय हैं और अन्य लोगों को इससे बिल्कुल दिक्कत नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को इस संबंध में आदेश भी दिया हैं।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
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जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की स्पेशल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के हर एक नागरिक को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार हैं। बेंच ने सेक्स वर्कर्स के अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में 6 निर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा,सेक्स वर्कर्स भी देश के नागरिक हैं। वे भी कानून में समान संरक्षण के हकदार हैं।
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यदि सेक्स वर्कर के साथ कोई अपराध घटित हो जाता है, तो उसे तत्काल सहायता उपलब्ध कराएं। सेक्स वर्कर के साथ यौन उत्पीड़न होता है, उसे कानून के तहत तुरंत मेडिकल सहायता सहित वो सभी सुविधाएं मिलें जो यौन पीड़ित किसी भी महिला को मिलती हैं। कई मामलों में यह देखा गया है कि पुलिस सेक्स वर्कर्स के प्रति क्रूर और हिंसक रवैया अपनाती है। ऐसे में पुलिस और एजेंसियों को भी सेक्स वर्कर के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
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कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यौनकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए। वेश्यालय में छापेमारी के दौरान उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए। अपनी इच्छा से सेक्स वर्क अवैध नहीं है, केवल वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है। सेक्स वर्कर के बच्चे को उससे सिर्फ इसलिए अलग नहीं करना चाहिए कि वह वेश्यावृत्ति के पेश में है। मानवीय शालीनता और गरिमा की बुनियादी सुरक्षा यौनकर्मियों और उनके बच्चों को भी है। अगर वेश्यालय में या किसी सेक्स वर्कर के साथ कोई नाबालिग मिलती है तो यह पहले से मानकर नहीं चलना चाहिए कि बच्ची को तस्करी कर लाया गया है।
अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि शिकायत दर्ज कराने वाली यौनकर्मियों के साथ भेदभाव नहीं करें, खासकर अगर उनके खिलाफ किया गया अपराध यौन प्रकृति का हो तब। यौन उत्पीड़न की शिकार यौनकर्मियों को तत्काल चिकित्सा, कानूनी देखभाल सहित हर सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह देखा गया है कि अक्सर सेक्स वर्कर के प्रति पुलिस का रवैया क्रूर और हिंसक होता है। यह ऐसा है जैसे सेक्स वर्कर उस वर्ग के लोग हैं, जिनके अधिकारों को मान्यता नहीं है। उनके साथ भी पुलिस को संवेदनशील रवैया रखना चाहिए।