नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहीं आशा वर्कर 21 जुलाई के बाद से हड़ताल पर हैं। दूसरी ओर दिल्ली पुलिस ने कुछ आशा वर्करों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक आरोप है कि 9 अगस्त को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान अनलॉक दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया।
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जिसके तहत आशा वर्करों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। बता दें कि दिल्ली में पांच हजार से अधिक आशा वर्क हैं। जो डिस्पेंसरी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर काम करती हैं। वहीं कोरोना संकट के दौर में सरकार के आदेश के अनुसार घर घर जाकर सर्वे किया। आलम यह है कि दिल्ली में अब कोरोना के केस कम मिल रहे हैं।
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दूसरी ओर अब बुनियादी सुविधाओं के लिए आशा कार्यकर्ता सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। दिल्ली आशा वर्कर संस्था की महासचिव उषा ठाकुर ने बताया, ‘रविवार को कुछ सौ आशा वर्करों ने जंतर-मंतर पर स्पष्ट एजेंडे के साथ प्रदर्शन किया। अभी तक 150 आशा वर्करों को कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। हम कोरोना के खिलाफ फ्रंट लाइन वर्कर हैं जो पीपीई, मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर और बेहतर मानदेय जैसी बुनियादी मांगे कर रहे हैं। दिल्ली में 100 से भी अधिक डिस्पेंसरी की आशा वर्कर हड़ताल पर हैं।’
बता दें कि दिल्ली में आशा कार्यकर्ताओं को तीन हजार रुपए महीना और एक हजार रुपए प्रोत्साहन राशि मिलती है, जो प्रति केस 50 से 200 रुपए तक हो सकता है। लेकिन कोरोना संकट काल में दिल्ली को जीताने वाली आशा वर्कर की हालात खराब है। दिल्ली पुलिस ने आशा वर्करों के आलवा प्रदर्शन में शामिल होने वाले भारतीय व्यापार संघों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज किया है।
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