PM Modi Independence day Speech : लाल किले से पीएम मोदी ने इन योजनाओं का किया जिक्र, बताया कैसे बढ़ता है लोगों का विश्वास

लाल किले से पीएम मोदी ने इन योजनाओं का किया जिक्र, PM Modi Independence day Speech: PM Modi mentioned these schemes from Red Fort

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  • Publish Date - August 15, 2024 / 08:00 AM IST,
    Updated On - August 15, 2024 / 08:00 AM IST

नई दिल्लीः PM Modi Independence day Speech देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। लालकिला परिसर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में इस बार 11 श्रेणियों के तहत 18 हजार मेहमान शामिल हुए। खास बात यह है कि इनमें से 6 हजार खास मेहमान महिला, किसान, युवा और गरीब वर्ग से हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने सभा को भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने भारत माता की जयकार से अपना भाषण शुरू किया। पिछली बार की तरह इस बार भी मेरे परिवारजन कहकर देशवासियों को संबोधित किया। मेरे प्यारे देशवासियों मेरे परिवारजन आज वो शुभ घड़ी है जब हम देश के लिए मर मिटने वाले देश की आजादी के लिए जीवन समिर्पित करने वाले आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी पर चढ़कर भारत माता की जयकार लगाने वालों को नमन करने का पर्व है

उन्होंने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों मेरे परिवारजन, आज वो शुभ घड़ी है जब हम देश के लिए मर मिटने वाले देश की आजादी के लिए जीवन समिर्पित करने वाले आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी पर चढ़कर भारत माता की जयकार लगाने वालों को नमन करने का पर्व है। आजादी के दीवानों ने आज हमें आजादी के इस पर्व में स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। ये देश महापुरुषों का ऋणी है। आज जो महानुभाव राष्ट्ररक्षा के लिए राष्ट्रनिर्माण के लिए पूरी लगन के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं, चाहे हमारा किसान हो, जवान हो हमारे नौजवानों का हौसला हो, हमारी माता-बहनों का योगदान हो, अभावों के बीच भी स्वतंत्रता के प्रति उसकी निष्ठा पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक घटना है। मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

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आपदाओं में जिन्होंने अपनों को खोया, उनके साथ देश खड़ा है

इस साल और पिछले कुछ सालों से प्राकृतिक आपदा के कारण हमारी चिंता बढ़ती जा रही है। इसमें अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोए हैं, अपनी संपत्ति खोई है। राष्ट्र को भी नुकसान हुआ है मैं आज उन सब के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, उन्हें विश्वास दिलाता हूं ये देश संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ा है।

हमारे पूर्वजों का एक ही सपना था- आजादी

हम आजादी के पहले के वो दिन याद करें, सैकड़ों साल की गुलामी रही। सभी ने गुलामी के खिलाफ जंग लड़ी। इतिहास गवाह है 1857 का स्वतंत्रता संग्राम से पहले आदिवासी क्षेत्रों में आजादी की जंग लड़ी जाती है। गुलामी एक लंबा काल था, जुल्मी शासक, अपरंपार यातनाएं, मानवीय विश्वास तोड़ने की तरकीबी, मगर उस वक्त 40 करोड़ देशवासियों ने जज्बा दिखाया, एक सपना लेकर चले, एक संकल्प लेकर चलते रहे। बस एक ही स्वर था वंदेमातरम। एक ही सपना था भारत की आजादी का।

2047 तक विकसित भारत का संकल्प पूरा करेंगे

हमें गर्व हमारी रगों में उनका ही खून है। हमारे पूर्वज सिर्फ 40 करोड़ थे, उन्होंने गुलामी जंजीरों को तोड़ दिया था। हमारे पूर्वजों का खून हमारी रगों में अगर 40 करोड़ गुलामी की बेड़ियाों को तोड़ सकते हैं तो 140 करोड़ नागरिक अगर संकल्प लेकर चल पड़ें, एक दिशा निर्धारित कर लें, कदम से कदम मिलाकर चल पड़ें तो चुनौतियां कितनी बड़ी क्यों न हो, हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्व भारत बना सकते हैं। हम 2047 विकसित भारत का संकल्प प्राप्त कर सकते हैं। अगर 40 करोड़ लोग आजाद भारत बना सकते हैं, तो 140 करोड़ उसी भाव से समृद्ध भारत बना सकते हैं। एक समय था जब लोग देश के लिए मरने के लिए प्रतिबद्ध थे। आज समय है देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता।

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मोदी ने देशवासियों के सुझाव गिनाए

युवा, बुजुर्ग, गांववासी, शहरवासी दलित आदिवासी हर किसी ने 2047 में जब देश आजादी का 100 साल मनाएगा तो उसके लिए अनमोल सुझाव दिए हैं। कुछ लोगों ने कहा- दुनिया की स्किल कैपिटल बनाएं। किसी ने मैन्यूफैक्चरिंग का ग्लोबल हब का सुझाव दिया। किसी ने यूनिवर्सिटी हब का सुझाव दिया। हमारा स्किल युवा दुनिया की पहली पसंद बनना चाहिए। भारत को जल्द से जल्द हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहिए। हमारे किसानों के मोटे अनाज को दुनिया के हर डाइनिंग टेबल पर लगाना है। हमारे देश की न्याय व्यवस्था में रिफार्म होने चाहिए। बहुत लोगों ने सपना देखा है- अंतरिक्ष में भारत का स्पेस स्टेशन बनना चाहिए। हमारी पारंपरिक औषधि को विकसित करना चाहिए। भारत तीसरी इकोनॉमी बनना चाहिए। ये हमारे देशवासियों के सुझाव है।

देशवासियों के सुझाव उनके अनुभव से निकले हैं

जब देशवासियों की इतने बड़े सपने हो, उनकी बातों में संकल्प हो तो हमारे भीतर आत्मविश्वास एक नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है। ये भरोसा अनुभव से निकला है। ये लंबे कालखंड के परिश्रम से आया है।

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घोषणाओं पर काम होता है तो भरोसा बढ़ता है

जब लालकिले से कहा जाता है हिंदुस्तान के 18 हजार गांवों में समय से बिजली पहुंचाएंगे और काम समय से होता है। तो ये भरोसा बढ़ जाता है। जब स्वच्छ भारत की बात की जाए तो सभी लोगों के अंदर स्वच्छता का वातावरण बन जाए तो मैं समझता हूं ये भारत के अंदर की नई चेतना का प्रतिबिंब है। आज हमारे घर में जब 3 करोड़ परिवारों को नल से जल पहुंच रहा है, तो विश्वास बढ़ता है। कौन वंचित थे, इससे दलित, शोषित और गरीब भाई-बहन इन चीजों के अभाव में जी रहे थे। हमने अनेक ऐसे प्रयास किए हैं, ताकि निचले तबके को सुविधा मिले।

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